आरोपी को बचाने और सबूत मिटाने के बाद अब डॉक्टरों को धमका रही हैं ममता बनर्जी : सुधांशु त्रिवेदी

नई दिल्ली, 28 अगस्त . भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर पार्टी के विरोध-प्रदर्शनों के खिलाफ पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के रवैये पर सवाल उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि जांच को भटकाने, आरोपी को बचाने और सबूतों को मिटाने के बाद अब ममता बनर्जी डॉक्टरों को धमका रही हैं.

सुधांशु त्रिवेदी ने यहां भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जांच को भटकाने, आरोपी को बचाने और सबूत मिटाने के बाद अब पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों को धमकाने की एक नई रणनीति दिखाई पड़ रही है. इससे पहले लोगों ने कोई ऐसा बंद नहीं देखा होगा, जहां एक तरफ बंद का आह्वान किया जाए और दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के नेता जाकर दुकानों को खुलवाने का प्रयास करें.

उन्होंने कहा, “इसके बाद मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) आकर प्रेस को संबोधित करते हुए कहती हैं, ‘मैं नहीं चाहती कि एफआईआर हो – ताकि करियर न बर्बाद हो, पासपोर्ट और वीजा मिलने में समस्या न हो.’ “

भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि शब्दों के हेर-फेर के साथ “ममता बनर्जी ने सीधे-सीधे डॉक्टरों को धमकाने का काम किया है. करियर पर प्रश्नचिन्ह लगाने की बात कर, शब्दों के मायाजाल के जरिये डॉक्टरों को धमकाया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि भाजपा ममता बनर्जी द्वारा डॉक्टरों को परोक्ष रूप से धमकाने के इस प्रयास की कड़ी भर्त्सना करती है और पीड़िता को न्याय दिलवाने तक संघर्ष करती रहेगी.

ममता बनर्जी के चुनाव करवा लेने के बयान की आलोचना करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इस पीड़िता के साथ न्याय का विषय चुनाव का विषय नहीं है. यह सबूतों के आधार पर कानून की अदालत में साबित होकर दोषियों को सजा दिलाने का विषय है. ‘जिसकी सत्ता होगी, न्याय उसी के पक्ष में होगा’, यह सोच संविधान के लिए सबसे खतरनाक है. उन्होंने कहा कि इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता रहते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी भी एक समय पर कह चुके हैं कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र नहीं है.

ममता बनर्जी द्वारा एनडीए में रहने के दौरान चलाए गए आंदोलन की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि यह वही ममता बनर्जी हैं, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भाजपा के साथ रहते हुए स्वयं ये बताया था कि पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट सरकार की पुलिस ने उनके ऊपर इतने आघात किए थे कि उन्हें मृत समझकर छोड़ गए थे. यह वही ममता बनर्जी हैं, जिन्होंने रेप के विरुद्ध बड़ा आंदोलन और संघर्ष किया था.

सुधांशु त्रिवेदी ने सवाल किया कि क्या आज उनकी संवेदना इतनी मर गई है कि वह दोषियों को सजा दिलाने की बजाय उन्हें बचाने में लगी हैं. अब ध्यान भटकाने के लिए फांसी देने की बात कह रही हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि वहां सबूतों को मिटा दिया गया है. ममता बनर्जी बताएं कि वह पश्चिम बंगाल में रेप के मामले में कितने अपराधियों को फांसी की सजा दिलवा चुकी हैं. मोदी सरकार ने तो बलात्कार के मामले में कानूनों को और ज्यादा कड़ा बनाने का काम किया है.

भाजपा प्रवक्ता ने इसे संविधान की मूल भावना पर आघात बताते हुए कहा कि जो कुछ पश्चिम बंगाल में हो रहा है, वह “संविधान की मूल भावना पर सबसे बड़ा आघात है और इसमें इंडी गठबंधन के सारे दल इसमें शामिल हैं”.

उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल है जो सपा के समर्थन से राज्यसभा सांसद हैं और जो कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं. इसलिए ये सारे दल इसमें शामिल हैं. पश्चिम बंगाल को छोड़कर, देश के सभी राज्यों से चुनावी हिंसा समाप्त हो चुकी है. लगता है कि अपराधियों के सहारे सत्ता में आने वाली ममता बनर्जी के वश में अब अपराधियों पर लगाम लगाना नहीं रह गया है. भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला करवाना तृणमूल का स्वाभाविक चरित्र है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान से भी समझी जा सकती है.

तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी के बयान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोलकाता में जो कुछ भी हुआ, उस पर उनकी यह बयानबाजी उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाती है. अपराधियों को संरक्षण देना उनकी और ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेताओं की मानसिकता है.

एसटीपी/एकेजे