मुजफ्फरनगर में विशेष समुदाय के कर्मचारियों को हटाने के बाद ढाबा मालिक ने कहा, मुझे उनकी फिक्र है

मुजफ्फरनगर, 19 जुलाई . कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होने जा रही है. कांवड़ मार्ग पर स्थित होटल या ढाबों के प्रोपराइटर का बोर्ड लगाने पर विवाद जारी है. पुलिस-प्रशासन के इस आदेश के बाद होटल और ढाबों से एक विशेष समुदाय के कर्मचारियों को हटाया जा रहा है. अब ढाबा मालिक ने कहा है कि ये गलत हो रहा है.

मुजफ्फरनगर जिले में एनएच-58 बाईपास पर स्थित ‘साक्षी ढाबा’ से चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है. ढाबे के मालिक लोकेश ने शुक्रवार को इसकी जानकारी मीडिया को दी. उन्होंने बताया कि ”प्रशासन के लोग मेरे ढाबे पर आए थे और उन्होंने प्रोपराइटर के नाम का बोर्ड ढाबे के बाहर लगाने का निर्देश दिया.”

”हमारे ढाबे पर चार मुस्लिम युवक काम कर रहे थे, जिनमें से एक बिहार का रहने वाला था. चार कर्मचारियों में से दो कारीगर थे, एक चाय के स्टॉल पर और एक कैंटीन में था. प्रशासन के कहने पर उन्हें काम से हटा दिया गया.”

ढाबा मालिक लोकेश ने आगे कहा, ”होटल, ढाबों के बाहर प्रोपराइटर ने नाम का बोर्ड लगवाना यह प्रशासन की अपनी समझ है. कांवड़ यात्री किस होटल और ढाबे पर खाना खाएंगे, ये उनकी मर्जी है, लेकिन मुस्लिम लोगों को काम से हटाना गलत है. मुझे उनकी फिक्र हो रही है. अब वो बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में वो युवक घर बैठे रहेंगे तो उनके खाने की व्यवस्था कैसे होगी?”

वहीं राजनीतिक पार्टी के नेता भी इसका विरोध कर रहे हैं. एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ”ढाबा और होटल जैसी जगहों के बाहर अपने मजहब की पहचान बताना, संविधान के आर्टिकल-17 (छूआछूत), आर्टिकल-21 (जीने का अधिकार) और आर्टिकल-19 (जीवन यापन) का उल्लंघन है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार छुआछूत को बढ़ावा दे रही है.”

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