पाकिस्तान : तिराह घाटी में बमबारी के बाद पीड़ित लोग हर अत्याचार का हिसाब लेने पर आमादा

New Delhi, 23 सितंबर . Pakistan में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के तिराह घाटी में एयरफोर्स के हमले में महिलाओं और बच्चों समेत करीब 30 लोगों के मारे जाने के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है. उन्होंने पूरी दुनिया से अपील कर Pakistan सेना के अत्याचारों से निजात दिलाने की गुहार लगाई है. उत्पीड़न के खिलाफ लोगों ने दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन किया.

इस दौरान खैबर पख्तूनख्वा असेंबली के सदस्य अब्दुल गनी अफरीदी भी पीड़ित परिवारों के साथ वहां मौजूद रहे. अब्दुल गनी अफरीदी ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन इस बात का ऐलान है कि अब निर्दोष नागरिकों के उत्पीड़न, अन्याय या बलिदान को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा. जनता की आवाज को दबाया नहीं जा सकता. हवाई हमले में मारे गए लोगों का खून न्याय मांग रहा है.

उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने तक यह संघर्ष जारी रहेगा. अब समय आ गया है कि इन अत्याचारों का हिसाब लिया जाए और शहीदों के खून को व्यर्थ न जाने दिया जाए.

Pakistanी सेना ने जेएफ-17 लड़ाकू विमानों से तिराह अकाखेल में बम गिराए थे. इस हमले में गांव का बड़ा हिस्सा तबाह हो गया और जगह-जगह बच्चों और महिलाओं समेत कई लोग देखते ही देखते मौत की आगोश में चले गए.

खैबर पख्तूनख्वा असेंबली के सदस्य अब्दुल गनी अफरीदी ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए और नरसंहार की तस्वीरें और वीडियो शेयर कर अमेरिका समेत पूरी दुनिया का ध्यान Pakistanी सेना के जुल्मों की ओर दिलाया. अब्दुल गनी अफरीदी तिराह घाटी में घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां का दृश्य हृदय विदारक था.

उन्होंने पोस्ट किया, “ऊपरी तिराह अकाखेल में Pakistanी जेट विमानों की बमबारी ने एक प्रलय ला दिया है. वह घाटी, जहां बच्चे कभी खिलखिलाकर हंसते थे, अब उनकी लाशों से भर गई है. जिन घरों के आंगन में माताएं अपने बेटों के लिए सपने बुनती थीं, वे आज मलबे और चीखों से गूंज रहे हैं. नौजवानों का खून और मासूम बच्चियों के क्षत-विक्षत शरीर इस बात की गवाही देते हैं कि जुल्म की कोई हद नहीं छोड़ी गई. यह कैसा न्याय है कि दुश्मनों पर आग बरसाने के बजाय अपने ही नागरिकों पर बरसाया जाएं? क्या वे मासूम बच्चे आतंकवादी थे, जिनके हाथों में खिलौने थे? क्या वे मां अपराधी थीं, जिन्होंने अपने घरों में प्रार्थना के दीप जलाए? यह खुला अत्याचार है, यह राजकीय उत्पीड़न है और यह इतिहास के माथे पर एक ऐसा काला धब्बा है जिसे कभी नहीं मिटाया जा सकता.

अब्दुल गनी अफरीदी ने कहा कि हम इस बर्बरता की कड़ी निंदा करते हैं. शहीदों के खून का हिसाब लिया जाए, उनके शोकाकुल परिवारों को न्याय दिया जाए और इस धरती पर बहाए गए खून की हर बूंद का सवाल हुक्मरानों के गिरेबान तक पहुंचेगा. ऊपरी तिराह के जख्म कभी नहीं भरेंगे और इन बेगुनाह शहीदों की आहें हमेशा जुल्म की गलियों को हिलाती रहेंगी.

उन्होंने कहा कि यह मानवता के खिलाफ एक खुला अपराध है. हम दुनिया, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठनों से विनती करते हैं कि जैसे आप गाजा, फिलिस्तीन और कश्मीर के लिए आवाज उठाते हैं, वैसे ही हमारे लिए भी उठाएं. दरअसल हाल ही में अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनका मुख्य लक्ष्य ‘विश्व शांति’ को बढ़ावा देना है. विश्व शांति के लिए उनसे बेहतर काम किसी ने नहीं किया और पिछले आठ महीने के कार्यकाल में उन्होंने सात युद्ध सुलझाए. ऐसे में खैबर पख्तूनख्वा के लोग दुनिया की ओर बड़ी आस के साथ नजर गड़ाए बैठे हैं.

वीसी/एएस