मालेगांव ब्लास्ट केस पर फैसले का इंतजार, अधिवक्ता बोलीं- इंसाफ की जीत होगी

मालेगांव, 31 जुलाई . महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद Thursday को अदालत का फैसला आने वाला है. इस मामले ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है. फैसले को लेकर मालेगांव के लोगों में न्याय की उम्मीद है.

मालेगांव के भिक्कू चौक पर हुए बम धमाके में कई निर्दोष लोगों की जान गई थी और दर्जनों घायल हुए थे. इस मामले में मुख्य आरोपी के रूप में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम सामने आया था, जिन पर पहले मकोका लगाया गया था, हालांकि, बाद में हटा लिया गया था.

इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पैरवी कर रहीं अधिवक्ता इरफाना हमदानी ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी. समाचार एजेंसी से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि आज 17 साल बाद मालेगांव ब्लास्ट का फैसला आ रहा है. इस केस में अभियोजन पक्ष को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन जो इलेक्ट्रॉनिक सबूत, टेलीफोनिक बातचीत, लैपटॉप से मीटिंग्स की जानकारी और कॉल डिटेल्स हैं, वे इस मामले में काफी अहम साबित हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि मकोका के तहत दर्ज इकबालिया बयानों, एफएसएल रिपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर अदालत को निष्पक्ष और सख्त निर्णय देना चाहिए. जनता 17 वर्षों से इस फैसले का इंतजार कर रही है. अब वक्त आ गया है कि इंसाफ की जीत हो.

बता दें कि इस मामले में अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अप्रैल में इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज होने के कारण, फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था. सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि जो आरोपी उस दिन अनुपस्थित रहेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

इस मामले में सात लोग, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं, जिन पर मुकदमा चल रहा है. इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. सभी आरोपी वर्तमान में जमानत पर रिहा हैं.

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ. इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए. शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी. हालांकि, 2011 में एनआईए को जांच सौंप दी गई.

पीएसके