बेंगलुरु, 13 जून . कांची कामकोटि पीठम के 70वें पुजारी जगद्गुरु शंकराचार्य श्री विजयेंद्र सरस्वती स्वामीगल ने बेंगलुरु के कनकपुरा रोड स्थित ‘आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर’ का दौरा किया. इस दौरे में उन्होंने गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के वैश्विक कार्यों की सराहना की.
बेंगलुरु दौरे के दौरान शंकराचार्य ने अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया और गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के दुनिया भर में शांति, ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान फैलाने के अथक प्रयासों की गहरी सराहना की. उन्होंने गुरुदेव की मानवीय पहल, भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणालियों को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता और आध्यात्मिक प्रथाओं को सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए सुलभ और प्रासंगिक बनाने की उनकी क्षमता को स्वीकार किया.
शंकराचार्य आश्रम के अंदर गुरुकुल, गौशाला और विभिन्न आध्यात्मिक शिक्षण स्थानों को देखकर प्रसन्न हुए. उन्होंने दुनिया भर से एकत्रित साधकों (आध्यात्मिक साधकों) को संबोधित किया और मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के शब्द कहे.
गुरुदेव के साथ अपने संबंधों पर विचार करते हुए शंकराचार्य ने कहा, “कई वर्षों से गुरुदेव हमारी कांची परंपरा से जुड़े हुए हैं. हमारे लिए यहां आना स्वाभाविक है – यह प्रेम और सहजता का विषय है.”
गुरुदेव के प्रभाव की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, “कश्मीर से कन्याकुमारी तक, आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा किए गए सेवा प्रयासों ने अशांति के मूल कारणों को संबोधित किया है. जो लोग कभी हथियार रखते थे, वे प्रेम और भक्ति के माध्यम से शांति की ओर आकर्षित हुए हैं, बंदूक से बंधु. वैदिक ज्ञान, सात्विक प्रथाओं और सनातन धर्म के मूल्यों के प्रति आर्ट ऑफ लिविंग का समर्पण मानवता के लिए एक सच्ची सेवा है. गुरुदेव दीर्घायु हों और इस दिव्य कार्य को जारी रखें.”
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने पारंपरिक सम्मान के साथ शंकराचार्य का गर्मजोशी से स्वागत किया और इस यात्रा को ‘सभी आध्यात्मिक साधकों के लिए आशीर्वाद’ और साझा मूल्यों और आध्यात्मिक दृष्टि की पुष्टि कहा.
यह यात्रा वैदिक मंत्रों, आशीर्वाद के आदान-प्रदान और भारत की आध्यात्मिक विरासत के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने की नई प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुई.
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एससीएच/एकेजे