नई दिल्ली, 24 फरवरी . सरकार के हरित ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए अडाणी समूह और उबर जल्द ही एक संयुक्त उद्यम (जेवी) की घोषणा कर सकते हैं, जो वैश्विक राइड प्लेटफॉर्म कंपनी को वैकल्पिक और नवीकरणीय ऊर्जा पर चलने वाले अपने बेड़े का विस्तार करने में मदद करेगा. सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
जेवी की योजना से करीब से जुड़े लोगों ने को बताया कि इसके साथ, देश में उबर का बेड़ा कम समय में बढ़कर दो लाख वाहनों तक पहुंचने की संभावना है.
सूत्रों के अनुसार, अडाणी समूह प्रमुख भारतीय वाहन निर्माताओं के साथ इस प्रमुख उभरते क्षेत्र में बेड़े के निर्माण के लिए साझेदारी की संभावना तलाश रहा है.
मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक, यह संयुक्त उद्यम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा.
हरित और टिकाऊ ऊर्जा पर देश के दोगुने फोकस के बीच अडाणी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडाणी ने उबर के वैश्विक सीईओ दारा खोसरोशाही से मुलाकात की और भविष्य के सहयोग पर चर्चा की.
गौतम अडाणी ने एक्स पर पोस्ट किया, “उबर के सीईओ दारा खोसरोशाही के साथ बेहद दिलचस्प बातचीत. भारत में उबर के विस्तार के लिए उनका दृष्टिकोण वास्तव में प्रेरणादायक है, विशेष रूप से भारतीय ड्राइवरों और उनकी गरिमा के उत्थान के लिए उनकी प्रतिबद्धता.”
गौतम अडाणी ने कहा, “दारा और उनकी टीम के साथ भविष्य में सहयोग के लिए उत्साहित हूं.”
उनके इस पोस्ट पर खोसरोशाही ने जवाब दिया कि कंपनी देश में अपना परिचालन बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.
खोसरोशाही ने एक्स पर पोस्ट किया, “भारत के अभूतपूर्व विकास और बढ़ती उद्यमशीलता के बारे में स्वादिष्ट नाश्ते पर गौतम अडाणी के साथ बहुत शानदार बातचीत.”
उबर 2013 में भारत आया और अगले 10 साल में एक अरब से अधिक यात्राएं पूरी कीं. आज, उबर की सेवा देश के 125 शहरों में उपलब्ध है.
कंपनी के अनुसार, इससे “आठ लाख से अधिक भारतीयों को ड्राइवर की सीट पर बैठकर स्थायी आय अर्जित करने में मदद मिली है”.
यह महत्वपूर्ण सहयोग ऐसे समय में आया है जब भारत दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम को लागू कर रहा है, जिसमें समग्र नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में पांच गुना वृद्धि की परिकल्पना की गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है.
भारत हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में एक प्रमुख वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए भी तैयार है – न केवल अपने प्रचुर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों और पुनरोत्पादन की दुनिया की सबसे कम लागत में से एक के लाभों के आधार पर; बल्कि अपने अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र और हाइड्रोजन उत्पादन, परिवहन, इलेक्ट्रोलाइट विनिर्माण, समर्थक बुनियादी ढांचे, फ्यूल सेल ईवी, भंडारण एवं उपयोग जैसे परस्पर संबद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के लिए डिज़ाइन किये गये फ्रेमवर्क के कारण भी.
सरकार विनिर्माण और चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचे का समर्थन करके ईवी पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार कर रही है और इसे मजबूत बना रही है. ईवी चार्जिंग स्टेशनों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने से वाहनों और चार्जिंग बुनियादी ढांचे दोनों की बिक्री बढ़ेगी.
इसके अतिरिक्त, फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना जैसी सरकारी पहल ईवी अपनाने को और प्रोत्साहित करती है.
स्वच्छ ऊर्जा उद्योग ने इस महीने की शुरुआत में प्रस्तुत अंतरिम बजट के दौरान घोषित जैव-विनिर्माण और बायो-फाउंड्री की एक नई योजना के साथ ‘हरित विकास’ की दिशा में सरकार के नवीनतम प्रयास की सराहना की, जो टिकाऊ गतिशीलता को बढ़ावा देगा.
सरकार ने कहा कि इस तरह के कदम पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करेंगे – जैसे बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर, बायो-प्लास्टिक, बायो-फार्मास्यूटिकल्स और बायो-कृषि इनपुट.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “यह योजना आज के उपभोग्य विनिर्माण के चलन को पुनरोपयोग के सिद्धांतों पर आधारित प्रतिमान में बदलने में भी मदद करेगी.”
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एकेजे/