नई दिल्ली, 8 मई . अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) दुनिया की पहली रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) स्वतंत्र बिजली उत्पादक (आईपीपी) बन गई है, जिसने अपने पूरे परिचालन पोर्टफोलियो में पानी की बचत और आसपास के क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बढ़ाकर ‘जल सकारात्मकता’ हासिल की है.
एजीईएल ने सस्टेनेबिलिटी के लिए एक नया मानक स्थापित करने को लेकर अपने वित्त वर्ष 2026 के लक्ष्य से एक साल पहले ‘जल सकारात्मकता’ हासिल की.
यह इस मील के पत्थर तक पहुंचने वाली, परिचालन आरई पोर्टफोलियो के संदर्भ में शीर्ष 10 वैश्विक कंपनियों में पहली और एकमात्र है.
अदाणी समूह की इस कंपनी से जुड़े 103 परिचालन स्थलों और 85 जल संरक्षण स्थलों के ‘वॉटर अकाउंटिंग डेटा’ का व्यापक ऑडिट और मूल्यांकन करने के बाद एक ग्लोबल एश्योरेंस फर्म ‘इंटरटेक’ ने ‘जल सकारात्मक’ प्रमाणित किया है.
कंपनी के एक बयान के अनुसार, ”यह भारत में इस पैमाने की एकमात्र रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी है, जिसे ‘जल सकारात्मक’ प्रमाणित किया गया है.”
‘जल सकारात्मक’ होने का मतलब है, ऐसी प्रथाओं को अपनाना जो न केवल पानी बचाती हैं, बल्कि आसपास के वातावरण में पानी की उपलब्धता भी बढ़ाती हैं.
उद्योगों के लिए इसका मतलब है कि वे अपने संचालन में जितना पानी इस्तेमाल करते हैं, उससे ज्यादा पानी प्रकृति को उपलब्ध कराएं.
जल-सकारात्मक फ्रेमवर्क में पानी को संरक्षित करना, उसकी खपत को अनुकूलतम बनाना और उसकी पूर्ति में योगदान देना शामिल है.
यह विकास उल्लेखनीय है, क्योंकि एजीईएल के ज्यादातर सौर और पवन प्लांट ऐसे भूभागों में हैं, जहां जीवित रहना और पानी की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण है.
कंपनी ने कहा कि एजीईएल ने भारत के सबसे कठोर इलाकों को ‘सस्टेनिबिलिटी हब’ में बदलने के साथ कुछ ऐसा हासिल किया है, जो बहुत कम लोगों ने सोचा था.
गुजरात के खावड़ा की निर्जन और बंजर भूमि और थार रेगिस्तान के शुष्क क्षेत्रों से, एजीईएल की जल सकारात्मकता आशा और इनोवेशन को लेकर खास है.
इस उपलब्धि की महत्ता को समझने के लिए, इस बात पर विचार करें कि एजीईएल का जल संरक्षण लगभग 467 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल के बराबर है और यह लक्षद्वीप की अर्ध-वार्षिक जल मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.
85 पुनर्जीवित तालाब अब जल-संकटग्रस्त समुदायों सहित 1,23,000 से अधिक लोगों को लाभान्वित कर रहे हैं.
एजीईएल की 54 प्रतिशत से अधिक परिचालन क्षमता सौर मॉड्यूल के लिए रोबोटिक सफाई तकनीक का उपयोग करती है, जिससे सालाना लगभग 546 मिलियन लीटर पानी की बचत होती है.
इस ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर एजीईएल की यात्रा एक दूरदर्शी ईएसजी लक्ष्य के साथ शुरू हुई, जिसके तहत उनके 200 मेगावाट से अधिक परिचालन संयंत्रों को ‘जल सकारात्मक’ बनाना था.
यह लक्ष्य न केवल वित्त वर्ष 2023 में ही पूरा हो गया, बल्कि एजीईएल ने वित्त वर्ष 2026 तक पूरे परिचालन पोर्टफोलियो में ‘जल सकारात्मकता’ का विस्तार करने का लक्ष्य रखा.
एजीईएल ने तय समय से एक साल पहले ही यह उल्लेखनीय लक्ष्य हासिल कर लिया है.
ऐसे देश में जहां पानी की कमी से लाखों लोग प्रभावित हैं, यह मील का पत्थर केवल कॉर्पोरेट सफलता नहीं है, बल्कि यह एक ‘सस्टेनेबिलिटी रिवोल्यूशन’ है.
सौर पैनलों की जल-रहित रोबोटिक सफाई, पारंपरिक जल निकायों को गहरा करना, वर्षा जल संचयन और आर्द्र हवा से संघनित स्वच्छ पेयजल जैसी विभिन्न पायलट परियोजनाओं जैसी एडवांस जल-बचत तकनीकों का लाभ उठाकर, एजीईएल यह साबित कर रहा है कि स्वच्छ ऊर्जा के लिए कीमती प्राकृतिक संसाधनों की कीमत चुकाने की जरूरत नहीं है.
एजीईएल के प्रवक्ता ने कहा, “हम केवल हरित ऊर्जा उत्पन्न नहीं करते बल्कि सबसे हरित तरीके से इसे संपन्न करते हैं. जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वॉटर स्ट्रैस को बढ़ाएगा और भारत उन देशों में से है, जो जल सुरक्षा चुनौतियों का सबसे अधिक सामना कर रहा है. भारत में प्रति व्यक्ति मीठे पानी की उपलब्धता कम है और उपयोग का स्तर अधिक है. इसलिए यह उपलब्धि मायने रखती है.”
एजीईएल के ऑपरेटिंग पोर्टफोलियो को जल सकारात्मक, सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री और जीरो वेस्ट-टू-लैंडफिल के रूप में प्रमाणित किया गया है, जो कंपनी की सस्टेनेबल विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
एक साहसिक ईएसजी लक्ष्य के रूप में शुरू हुआ यह अभियान एक राष्ट्रव्यापी बेंचमार्क बन गया है, जिसने भारत की सबसे बड़ी आरई कंपनी एजीईएल को हरित ऊर्जा और ब्लू प्लेनेट आंदोलन में सबसे आगे रखा है.
जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विकास, प्रदूषण और बदलती जलवायु के कारण जल संसाधन लगातार दबाव में हैं.
बयान में कहा गया है कि जल-सकारात्मक फ्रेमवर्क, जिसमें पानी को संरक्षित करना, इसकी खपत को अनुकूलित करना और इसकी पुनःपूर्ति में योगदान देना शामिल है, एक अधिक सस्टेनेबल एनवायरमेंट की ओर ले जाता है.
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एसकेटी/एबीएम