बांग्लादेश : अंतरिम सरकार की नीतिगत अनिश्चितता के बीच एक्ट्रेस नुसरत फारिया गिरफ्तार, पहुंचीं जेल

ढाका, 19 मई . बांग्लादेश की जानी-मानी एक्ट्रेस नुसरत फारिया को इनामुल हक नामक एक व्यक्ति की हत्या के प्रयास के मामले में जेल भेज दिया गया है. स्थानीय मीडिया ने सोमवार को यह जानकारी दी.

एक फिल्म में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का किरदार निभाने वाली फारिया को पुलिस ने रविवार को ढाका हवाई अड्डे पर उस समय हिरासत में लिया था जब वह थाईलैंड जा रही थीं. जुलाई 2024 के आंदोलन से जुड़े इस केस में बाद में उन्हें गिरफ्तार दिखाया गया था.

ढाका के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट नसरीन अंकतर ने सोमवार को उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया.

बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने पुष्टि की कि एक्ट्रेस के खिलाफ एक मुकदमा चल रहा है और मामले में जांच जारी है. उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

चौधरी ने कहा, “ऐसे उपाय किए जाएंगे कि सिर्फ कानून का उल्लंघन करने वालों को ही सजा मिले. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी परिस्थिति में किसी निर्दोष को सजा न मिले.”

उल्लेखनीय है कि जुलाई 2024 में इनामुल हक वटारा थाना क्षेत्र में जुलाई आंदोलन में शामिल हुए थे. उस दिन उन्हें पैर में गोली लगी थी और बाद में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. स्वस्थ होने के बाद उन्होंने 3 मई 2025 को केस दर्ज कराया था.

इस मामले में 283 लोगों को आरोपी बनाया गया है जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और 17 कलाकार भी शामिल हैं.

फारिया को आवामी लीग का फाइनेंशियल सपोर्टर बताते हुए आरोपी बनाया गया है.

फारिया ने 2023 में बनी बंगबधु शेख मुजीबुर रहमान की बायोपिक ‘मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ में शेख हसीना की भूमिका निभाई थी. इस फिल्म का निर्देशन भारतीय फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने किया था.

बांग्लादेश के संस्कृति मामलों के सलाहकार सरवर फारूकी ने फारिया की गिरफ्तारी को सरकार के लिए एक ‘शर्मनाक घटना’ करार दिया है.

फारूकी ने सोमवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में उम्मीद जताई कि फारिया को न्याय मिलेगा. उन्होंने लिखा कि सरकार का काम जुलाई आंदोलन के वास्तविक अपराधियों को सजा दिलाना है. हमारी स्पष्ट नीति रही है कि अस्पष्ट मामलों में किसी को भी गिरफ्तारी नहीं किया जाएगा जब तक कि प्राथमिक जांच में उसकी संलिप्तता साबित नहीं हो जाती.

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