मुंबई, 24 नवंबर . गोवा में चल रहे 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में तमिल सिनेमा स्टार शिवकार्तिकेयन ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी के कई किस्सों को शेयर कर बताया कि वह एक्टिंग की दुनिया में कैसे आए.
शिवकार्तिकेयन ने कहा, “मेरा पहला मंच मेरे कॉलेज में था, जब मैं इंजीनियरिंग कर रहा था. मेरे दोस्तों ने मुझे मंच पर धकेल दिया और कहा जो भी तुम्हें अच्छा लगे करो, दर्शकों को मजा आना चाहिए बस.”
खुलासा कर अभिनेता ने बताया कि कॉलेज के दिनों में अपने पिता की मृत्यु के बाद अवसाद में चले गए थे और उनकी जिंदगी में केवल उदासी रह गई थी.. इस बीच दर्शकों से ताली और प्रशंसा मिलना उनके लिए एक थेरेपी बन गई थी.
अपनी हालिया रिलीज ‘अमरन’ की सफलता का आनंद ले रहे अभिनेता ने बताया कि उन्होंने एक मिमिक्री कलाकार के रूप में शुरुआत की थी. अभिनेता ने कहा, “मैं उदास था. मुझे नहीं पता था कि क्या करना है. उस उदासी से, उस अवसाद से बचने के लिए मुझे मेरे दोस्तों ने मंच पर भेज दिया, जहां तालियां और दर्शकों से मिल रही प्रशंसा मेरे लिए थेरेपी बन गई.”
अभिनेता ने ‘अमरन’ के बारे में भी खुलकर बात की. फिल्म की सफलता का श्रेय उन्होंने सैनिकों की निःस्वार्थता, साहस और वीरता को दिया. फिल्म में अपनी मुकुंद वरदराजन की भूमिका के बारे में बात करते हुए शिवकार्तिकेयन ने कहा, “वरदराजन चेन्नई से थे और लोगों को बचाने के लिए कश्मीर गए. एक सैनिक के तौर पर उन्होंने उस वक्त अपने परिवार और साढ़े तीन साल की बेटी के बारे में भी नहीं सोचा, उन्होंने अपनी टीम को बचाया, फिल्म की सफलता उनके बलिदान की वजह से है.”
शिवकार्तिकेयन ने बताया कि एक समय के बाद उन्होंने इंडस्ट्री को छोड़ने का मन बना लिया था. हालांकि, उनकी पत्नी आरती ने इस बारे में उन्हें समझाया और काम जारी रखने के लिए प्रेरित किया.
बातचीत के दौरान अभिनेता ने सोशल मीडिया के बारे में भी बात की. उन्होंने बताया कि वह सोशल मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं. अभिनेता ने बताया, “पिछले दो सालों से मैं सोशल मीडिया का बहुत कम यूज कर रहा हूं. यदि आप चलाना ही चाहते हैं तो इंटरनेट चलाएं. मगर मेरी सलाह है कि एक्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का यूज ज्यादा ना करें.
अभिनेता ने मजाकिया अंदाज में कहा, “मुझे लगता है कि एलन मस्क मेरा अकाउंट ब्लॉक कर देंगे और यह मेरे लिए बड़ी सफलता होगी. अभिनेता ने अपनी सफलता के लिए मां की शिक्षा और मार्गदर्शन को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि ज्यादा पढ़ी-लिखी ना होने के बावजूद मेरी मां ने हमेशा मुझे गाइड किया. मेरी मां ने केवल आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की, लेकिन वह मुझसे बेहतर जीवन जानती हैं.”
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एमटी/एएस