नई दिल्ली New Delhi . एलपीजी सिलेंडरों में गैस की कम सप्लाई की शिकायतों के बाद गैस एजेंसियों की जांच शुरू हो गई है. दिल्ली-एनसीआर में भी कई गैस एजेंसियों पर रैंडम आधार पर जांच की जा रही है. बता दें कि गैस एजेंसी की मिलीभगत से डिलीवरी मैन द्वारा उपभोक्ताओं को मानक मात्रा से कम गैस की डिलीवरी किए जाने पर अब कंपनी की गाइडलाइंस के साथ-साथ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है. एलपीजी की कालाबाजारी रोकने के लिए मोदी सरकार ने हाल के दिनों में कई कदम उठाए हैं.
गौरतलब है कि गैस डिलीवरी के वक्त उपभोक्ताओं को पंजीकृत मोबाइल नंबर पर आया मैसेज डिलीवरी मैन को बताना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके बाद ही सिलिंडर मिलता है. हालांकि इस फैसले से गैस कम मिलने का कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन अगर आप गैस का सिलेंडर जल्दी खत्म हो जाने से परेशान हैं तो अब आपकी परेशानी दूर होने जा रही है.
अब डिलीवरी मैन आपको गैस कम देता है तो आप तुरंत ही शिकायत कर सकते हैं. साल 2020 से ही मोदी सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू कर दिया है. इस अधिनियम के लागू हो जाने के बाद अब अगर उपभोक्ता को कम गैस मिलता है तो गैस एजेंसी पर कार्रवाई तो होगी साथ ही उसका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है. अधिकांश लोग गैस सिलेंडर की डिलीवरी लेने के वक्त वजन चेक नहीं करते. इसका यह भी कारण है कि डिलीवरी मैन सप्लाई के वक्त वजन तौलने वाली मशीन नहीं रखते. जागरुकता के अभाव में कई बार सिलेंडर में कम गैस का खामियाजा उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है.
सिलेंडर में से एक से दो-तीन किलो गैस निकाली जा रही है. ऐसे में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू हो जाने के बाद उपभोक्ताओं को घर बैठे ही कई अधिकार और सुविधा मिल गई है. किसी भी गैस एजेंसी के डिलीवरी मैन द्वारा उपभोक्ताओं को मानक मात्रा से कम गैस की डिलीवरी किया जाना पाया जाएगा तो अब इसके लिए संबंधित गैस एजेंसी का उत्तदायित्व निर्धारित करते हुए उसके विरुद्ध कंपनी की गाइडलाइंस के साथ-साथ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
