कुशीनगर, 10 सितंबर . उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से संचालित मदरसों पर प्रशासन का शिकंजा कसा गया है. जिला प्रशासन ने जांच के दौरान दो ऐसे मदरसों को चिन्हित किया है, जो पूरी तरह सरकारी भूमि पर कब्जा कर चलाए जा रहे थे.
पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य फूलबदन कुशवाहा ने इन अवैध मदरसों की शिकायत Chief Minister योगी आदित्यनाथ से की थी. सीएम द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी. जांच में सामने आया कि ये मदरसे दशकों से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर संचालित हो रहे हैं. राजस्व अभिलेखों में इनके नाम का कोई रिकॉर्ड नहीं है, न ही कोई आवंटन या आदेश दर्ज है. प्रशासन इनके खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी में है.
पहला मदरसा गौसिया फैजुल उलूम महिरवा है, जो करीब 50 वर्षों से छात्रों को धार्मिक शिक्षा दे रहा है. 1972 में स्थापित यह मदरसा 1989 में विस्तारित हुआ. मान्यता के लिए दस्तावेज जमा किए गए, लेकिन चकबंदी और कागजी कमी के कारण प्रक्रिया अटक गई. फिर 1994-95 में सियासी दबाव से बिना जमीन के मान्यता मिल गई, जो अब सवालों के घेरे में है. तमकुहीराज तहसीलदार की जांच में पुष्टि हुई कि यह सरकारी जमीन पर अवैध है. यहां 350 छात्र पढ़ते हैं, लेकिन अब उनका भविष्य अधर में लटक रहा है. तहसीलदार ने रिपोर्ट डीएम को भेज दी है.
दूसरा मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम कसया तहसील के फाजिलनगर नगर पंचायत के धनौजी खुर्द गांव में है. यह भी ग्राम सभा की बंजर भूमि पर अवैध कब्जे से संचालित हो रहा है. फूलबदन कुशवाहा ने ही सीएम को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि मदरसे के पास अपनी जमीन नहीं है, फिर भी 1996 में कागजी हेरफेर से मान्यता कैसे मिली. जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया.
20 दिसंबर 2021 को उपजिलाधिकारी ने जमीन मदरसे के नाम दर्ज करने से इंकार कर दिया था, लेकिन तहसील के कुछ कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा किया. डीएम के निर्देश पर मदरसा संचालक, तहसील कर्मी सहित तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. फर्जी जमीन रजिस्ट्री रद्द कर ग्राम सभा के नाम वापस कर दी गई. मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, साथ ही सरकारी धन के दुरुपयोग की जांच चल रही है.
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एएसएच/डीएससी