New Delhi, 8 अगस्त . राज्यसभा में Friday को एक बार फिर हंगामा हुआ. विपक्ष के सांसद मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग पर अड़े रहे. हालांकि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने नियमों का हवाला देते हुए इसकी अनुमति नहीं दी.
इस पर विपक्षी सांसद नाराज हो गए. सांसदों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. सदन में हो रहे हंगामे के बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि संसद में बार-बार हो रहे व्यवधान के कारण अब तक हम 56 घंटे 49 मिनट का समय गंवा चुके हैं.
उन्होंने राज्यसभा में प्रश्नकाल व शून्यकाल शांतिपूर्ण तरीके से चलने देने का अनुरोध किया. वहीं विपक्ष का कहना था कि वे जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा करना चाहते हैं. अनेक विपक्षी सांसदों ने इसके लिए उप उपसभापति को नोटिस भी दिया था. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने सदन में बताया कि नियम 267 के तहत विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए 20 सदस्यों ने नोटिस दिया है.
उप सभापति का कहना था कि जब से यह सत्र शुरू हुआ है, विभिन्न सांसद अलग-अलग विषयों पर हर रोज नियम 267 के तहत नोटिस दे रहे हैं. गौरतलब है कि 267 के तहत सदन की अन्य सभी कार्यवाहियों को स्थगित करके संबंधित विषय पर चर्चा कराई जाती है. इस नियम के अंतर्गत चर्चा के अंत में वोटिंग का भी प्रावधान होता है. सभापति का कहना था कि हर दिन कई अलग-अलग विषयों पर कई नोटिस दिए जा रहे हैं. उन्होंने सांसदों से कहा कि क्या इन सभी नोटिस को स्वीकार करना संभव है.
उप सभापति का कहना था कि ऐसा लगता है कि कई सदस्य नियम 267 को एक टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
वहीं सदन में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी का कहना था कि पूरा विपक्ष चाहता है कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चले जैसा कि आप (उप सभापति) भी चाहते हैं. प्रमोद तिवारी ने कहा कि 267 पर मेरा एक सुझाव है. उन्होंने 267 की मांग को जायज ठहराया और कहा ऐसा हो सकता है, यह रूलिंग भी है कि जब देश के लोकतंत्र पर खतरा हो, वोटिंग के अधिकार पर खतरा हो.
वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ ब्रायन ने कहा कि हम Monday को केवल बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के गहन रिव्यू का मामला उठाएंगे. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सभी सांसद एक मत होकर केवल इसी विषय पर चर्चा का नोटिस देंगे. यह सुनिश्चित किया जाए कि हमें इस पर चर्चा की अनुमति दी जाएगी. सीपीआईएम के सांसद जॉन बिटास ने भी नियम 267 के पक्ष में अपनी बात रखने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि संसद नियमों में स्पष्ट कहा गया है कि सांसद तय नियम के तहत 267 का नोटिस दे सकते हैं.
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जीसीबी/केआर