‘औरंगजेब’ को आदर्श बताने वाले अबू आजमी इतिहासकार नहीं : प्यारे खान

नागपुर, 4 मार्च . मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ कर सपा नेता अबू आजमी विवादों में हैं. उनके बयान को लेकर लगातार विरोध जताया जा रहा है. बढ़ते विरोध के बाद अबू आजमी ने अपना बयान वापस ले लिया है. अबू आजमी के बयान पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने न्यूज एजेंसी से बात की.

उन्होंने कहा कि अबू आजमी इतिहासकार नहीं हैं. औरंगजेब के बारे में मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग मानता है कि ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार उसने कई कब्रें खुदवाईं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम भारत के लोग, जो ख्वाजा गरीब नवाज के अनुयायी हैं, जानते हैं कि औरंगजेब ने उनकी दरगाह को नष्ट करने का भी प्रयास किया था. वह एक क्रूर शासक का प्रतीक था, इसलिए हम उसे एक आदर्श के रूप में कैसे स्वीकार कर सकते हैं.

अबू आजमी द्वारा औरंगजेब को लेकर दिए बयान को वापस लेने पर उन्होंने कहा कि अबू आजमी को बयान देने से पहले सोचना चाहिए था. क्योंकि, वह इतिहासकार नहीं हैं. बयान देने से पहले सोचना चाहिए था कि वह एक मुस्लिम हैं. एक मुस्लिम के तौर पर इस बयान से देश में रहने वाले अन्य मुसलमानों को धक्का लगा है. उन्हें सोचना चाहिए था कि उनके इस बयान से मुसलमानों की बदनामी होगी. मैं समझता हूं कि ऐसा बयान कोई इतिहासकार देता, तो समझ में भी आता. क्योंकि, वह अपने बयान के लिए जवाबदेह होता. लेकिन, अबू आजमी इतिहासकार नहीं हैंं, जो इस तरह का बयान दें.

औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलता है. यहां ऐसा कुछ नहीं होता है. यहां सभी को रहने का अधिकार है. कसाब की भी यहां पर कब्र है ऐसे में हम कितनी कब्रों को हटाते रहेंगे. इसलिए यह विकास से हटने जैसी बात है और कुछ नहीं है. देश के संविधान के अनुसार, सब कुछ होता है.

डीकेएम/