राहुल गांधी के आरोपों पर हलफनामा की मांग करना हास्यास्पद : अभिषेक मनु सिंघवी

जोधपुर, 9 अगस्त . देश की सियासत में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर उबाल देखने को मिल रहा है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के तमाम नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौर जारी हैं.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि मैं बिहार एसआईआर मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पेश हो रहा हूं. यह मामला Tuesday को निर्धारित है. लोग इसमें शामिल मुद्दों से पहले से ही अवगत हैं. वहां प्रस्तुत तर्क कानूनी प्रकृति के होंगे और हम जो Political अभियान चला रहे हैं, वह एक अलग मामला है. मैं एक महत्वपूर्ण बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई कानून वैध है या अवैध, यह उसकी कानूनी वैधता से तय होता है, न कि इस बात से कि वह उस समय सही, तार्किक या आवश्यक लगता है या नहीं. इसका आकलन पूरी तरह से कानूनी प्रावधानों से होता है.

Lok Sabha में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर आरोपों को लेकर सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी के सवालों पर देश की सबसे बड़ी संस्था चुनाव आयोग हलफनामा पेश करने की बात कर रही है, जो हास्यास्पद नजर आती है. मेरा मानना है कि संसदीय क्षेत्र की एक या दो असेंबली में अगर वोटों की चोरी होती है तो संसदीय सीट का पूरा परिणाम बदल जाता है.

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यह एक गंभीर मुद्दा है. इसकी जांच होनी चाहिए. इस मामले में जांच की जगह राहुल गांधी पर हमला करना शुरू कर दिया गया. चुनाव आयोग India की संवैधानिक संस्था है और उसे राहुल गांधी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर सही से जवाब देना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि Government हर मुद्दे पर कहती है कि यह तो नेहरू जी लेकर आए थे. हर चीज को नेहरू जी से जोड़ना Government की आदत बन चुकी है. मेरा सवाल यह है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के पहले एसआईआर की जरूरत क्यों पड़ी? आप इसे दिसंबर के बाद भी करा सकते थे. चुनाव आयोग ने माना है कि 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं. अगर एसआईआर में कोई गलती है तो उसकी जांच करके उसे निरस्त किया जा सकता है. लेकिन, चुनाव आयोग इस मामले पर खामोश है. मतदाता सूची में हर बार लोगों के नाम जोड़े जाते हैं. लेकिन, इस बार 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं. इस मामले में पारदर्शिता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है.

एकेएस/एबीएम