अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव में अपनी हार को हिमाचल हाई कोर्ट में दी चुनौती

शिमला, 6 अप्रैल . हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव उम्मीदवार और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार को पर्ची निकालकर ड्रॉ के जरिए विजेता घोषित करने वाले नियम को चुनौती दी है.

उन्होंने कहा कि अगर दो उम्मीदवारों को बराबर वोट मिलते हैं तो लॉटरी निकालने का फॉर्मूला गलत है.

सिंघवी ने यहां मीडिया से कहा कि बराबर वोट मिलने की स्थिति में जिस उम्मीदवार की पर्ची निकले उसे हारा हुआ घोषित करना कानूनी तौर पर गलत है. “ऐसा कोई कानून नहीं है कि लॉटरी में जिस व्यक्ति का नाम निकलता है, वह हारा हुआ है.”

सिंघवी ने स्पष्ट किया, “आम तौर पर, जिसका नाम सामने आए उसे जीतना चाहिए. इसलिए अगर यह धारणा गलत है तो चुनाव परिणाम भी गलत है. कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम की धारणा को अदालत में चुनौती दी गई है.”

अपनी स्वयं की उपस्थिति को सही ठहराते हुए सिंघवी ने कहा कि ऐसी याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता को स्वयं अदालत में आना होगा, यह नियम है.

कांग्रेस के बागी और कभी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी रहे भाजपा के हर्ष महाजन सत्तारूढ़ पार्टी के कम से कम छह विधायकों द्वारा क्रॉस-वोटिंग की खबरों के बीच 27 फरवरी को सिंघवी को हराकर राज्यसभा के लिए चुने गए.

हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले, जिनमें तीन निर्दलीय विधायक भी शामिल थे, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था. अंततः लॉटरी के माध्यम से महाजन को विजेता घोषित किया गया.

छह कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग के बाद भाजपा ने राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट जीत ली.

बाद में धर्मशाला, लाहौल-स्पीति, सुजानपुर, बड़सर, गगरेट और कुटलेहड़ से छह कांग्रेस विधायकों की सीटें खाली हो गईं, क्योंकि पार्टी ने इन सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों – राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चेतन्य शर्मा – को बाद में बजट पर वोटिंग के दौरान ह्विप की अवहेलना करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था.

अब राज्य की छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव 1 जून को चार लोकसभा सीटों के साथ होंगे.

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