नई दिल्ली, 23 मई . ओलम्पिक खेलों में भारत के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने कहा है कि एथलीटों को इंसान की तरह देखें और यह उम्मीद न करें कि वे रोबोट की तरह व्यवहार करें.
बिंद्रा ने डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में गुरूवार को आभासी सत्र के जरिये खेल मनोविज्ञानियों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही.
मनोविज्ञानी एक सर्टिफिकेशन प्रोग्राम में हिस्सा ले रहे थे जिसका उद्देश्य निशानेबाजी के खिलाड़ियों पर खेल मनोविज्ञानियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालना था. इस प्रोग्राम का आयोजन नेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स साइंस एंड रिसर्च ने भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ , टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम और नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स, पटियाला के सहयोग से किया है.
वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक के 10 मीटर एयर राइफल के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा,”पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि एथलीटों को इंसान की तरह समझें और उनके साथ पदक विजेता रोबोट की तरह व्यवहार न करें. एथलीटों के साथ विश्वास और सम्बन्ध बनाना महत्वपूर्ण है और एथलीटों के मानसिक तथा भावात्मक उत्थान के लिए पूरी तरह धैर्य रखना चाहिए.”
बिंद्रा ने कहा, ”जिन निशानेबाजों ने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया और जो पेरिस में हिस्सा लेने जा रहे हैं उनकी सोच में बड़ा अंतर आया है. एथलीटों को देखना होगा कि आज वे कहां हैं न कि चार साल पहले वे कहां थे. ”
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