जयपुर, 29 फरवरी . 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में दोषी अब्दुल करीम टुंडा को अजमेर की टाडा कोर्ट ने गुरुवार को बरी कर दिया. इसके अलावा इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
पुलिस सभी आरोपियों को सुबह 11: 15 बजे टाटा कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच लेकर आई थी, जिसमें तीन आरोपी 6 दिसंबर 1993 में लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में हुए ट्रेन बम धमाके के मामले में आरोपी थे.
28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने 16 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया था. वहीं, बाकी आरोपियों को सुनाई गई सजा को बरकरार रखा.
2000 में ऐसी खबर आई थी कि टुंडा को बांग्लादेश में मार दिया गया था, लेकिन लश्कर का आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद दिल्ली में पकड़ा गया, जिसने पूछताछ में यह खुलासा किया कि टुंडा जिंदा है.
2001 में संसद पर हमले के बाद भारत ने जिन 20 आतंकियों का पाकिस्तान से प्रत्यर्पण किए जाने की मांग की थी, उसमें टुंडा का नाम भी शामिल था.
2013 में वह भारत-नेपाल सीमा से पकड़ा गया था.
टुंडा का असली नाम अब्दुल करीम है, लेकिन एक बार बम बनाने के दौरान उसने अपना एक हाथ गंवा दिया था, जिसके बाद उसका नाम टुंडा रख दिया गया. उसके खिलाफ 33 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उसने 1997-98 में 40 बम ब्लास्ट को भी अंजाम दिया था.
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एसएचके/एबीएम