‘आप’ ने स्वास्थ्य योजनाओं पर केंद्र सरकार को घेरा, आयुष्मान भारत योजना के डिज़ाइन में बताई खामियां

नई दिल्ली, 18 मार्च . आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉ. संदीप पाठक ने केंद्र सरकार की स्वास्थ्य नीतियों पर कड़ा प्रहार किया है. मंगलवार को राज्यसभा में उन्होंने कहा कि देश की हेल्थकेयर व्यवस्था को केंद्र और राज्य के बीच बांटकर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह पूरे देश की समस्या है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने में विफल रही हैं.

संदीप पाठक ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति दयनीय है. 2014 में छत्तीसगढ़ के नसबंदी कैंप में 10 महिलाओं की मौत हो गई थी, गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 63 बच्चों की जान चली गई थी, और नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में स्टाफ व डॉक्टरों की कमी के कारण 33 लोगों की मौत हो गई थी. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार द्वारा बनाए गए हेल्थ बजट और योजनाएं पर्याप्त हैं?

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से 2017 में लाई गई नेशनल हेल्थ पॉलिसी का उद्देश्य सभी नागरिकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना था, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है. सरकारी अस्पतालों में या तो डॉक्टर नहीं हैं, दवाइयां नहीं हैं, टेस्टिंग नहीं हो रही है, या मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं हैं.

संदीप पाठक ने आयुष्मान भारत योजना की आलोचना करते हुए कहा कि यह योजना मरीजों की बजाय अस्पतालों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत छोटे अस्पताल गैर-ज़रूरी ऑपरेशन कर रहे हैं, ताकि मुनाफा कमा सकें. इसके अलावा, योजना का डिज़ाइन ही दोषपूर्ण है.

उन्होंने कहा, “आयुष्मान भारत योजना में 10 करोड़ परिवारों को शामिल करने का दावा किया गया था, लेकिन केवल 2 करोड़ लोग ही पात्र पाए गए. बाद में सरकार ने तय किया कि बिना जांच-पड़ताल के किसी भी मरीज को इलाज दिया जाएगा. लेकिन कैग रिपोर्ट में इस योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा पाया गया.”

उन्होंने बताया कि इस योजना में अस्पतालों को बीमारी के आधार पर इंपैनल किया गया है, जबकि सीजीएचएस और अन्य प्राइवेट इंश्योरेंस योजनाओं में अस्पतालों के आधार पर इंपैनलमेंट होता है. इसका नतीजा यह है कि कई अस्पताल केवल चुनिंदा बीमारियों का इलाज करते हैं और बाकी के लिए मरीजों को अलग से पैसे खर्च करने पड़ते हैं.

संदीप पाठक ने मिडिल क्लास की अनदेखी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबों के लिए आयुष्मान भारत और नेशनल हेल्थ मिशन जैसी योजनाएं बनाई हैं, लेकिन टैक्स देने वाले मिडिल क्लास के लिए कोई हेल्थ स्कीम नहीं है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, “जो मिडिल क्लास टैक्स देता है, उसे किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलता.”

संदीप पाठक ने सरकार द्वारा हेल्थ बजट में केवल 1.4 प्रतिशत हिस्सा रखने को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ भाषण देने में व्यस्त है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही. उन्होंने कहा कि देश में अच्छे सरकारी अस्पताल नहीं हैं, मेडिकल कॉलेज में सीटें कम हैं, और दवाइयों की भारी कमी है.

उन्होंने राजनीतिक दलों पर भी तंज कसते हुए कहा कि “शिक्षा और स्वास्थ्य को चुनावी मुद्दा नहीं माना जाता, क्योंकि नेताओं को लगता है कि इससे वोट नहीं मिलते. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की राजनीति और विचारधारा स्कूल और अस्पताल पर आधारित है.

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदलने और उन्हें बंद करने का प्रयास किया. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह अलग-अलग हेल्थ स्कीम लाने के बजाय देश के जिला अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने पर ध्यान दे.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा, “माना अंधेरा घना है, पर दिया जलाना कहां मना है?” और सवाल उठाया कि जब सरकार दिया जला सकती है, तो वह ऐसा क्यों नहीं कर रही? उन्होंने सरकार से मांग की कि देश के 800 जिला अस्पतालों का कायाकल्प किया जाए, ताकि सभी नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें.

पीकेटी/