सीएम केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद हुई आप पीएसी की बैठक

नई दिल्ली, 16 सितंबर . आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के दौरान अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. उनके ऐलान के बाद राष्ट्रीय राजधानी की सियासी फिजा में हलचल तेज हो गई. मुख्यमंत्री कल (17 सितंबर) अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. इस बीच, आज मुख्यमंत्री के आवास पर पीएसी (पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी) की बैठक हुई. बैठक में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय शर्मा, दुर्गेश पाठक, आतिशी, गोपाल राय, इमरान हुसैन, राघव चड्ढा, राखी बिड़लान, पंकज गुप्ता, एनडी गुप्ता शामिल हुए.

इस बीच आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रेसवार्ता की. उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी की नाराजगी का आलम यह है कि ये लोग अब एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के पीछे पड़ चुके हैं. इसके लिए बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी है. केजरीवाल जब जेल से बाहर निकले, तो उन्होंने सत्ता का सुख भोगना जरूरी नहीं समझा. उन्होंने लोगों के हितों को ज्यादा सर्वोपरि समझा. केजरीवाल ने दो टूक कह दिया कि जब तक दिल्ली की जनता नहीं कह देगी, मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा.”

भारद्वाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अब उनकी साजिश का पर्दाफाश हो चुका है. देश की जनता इनके कुचक्र को समझ चुकी है, लेकिन इन लोगों से अब कुछ खास होने वाला नहीं है.

केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद लोगों के जेहन में यही सवाल है कि अब दिल्ली की कमान किसे सौंपी जाएगी? आखिर कौन होगा वो शख्स, जिसे आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंप सकती है. इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आई है, लेकिन बताया जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व आतिशी, सुनीता केजरीवाल, गोपाल राय, कैलाश गहलोत और सौरभ भारद्वाज में से किसी का एक नाम सीएम पद के लिए फाइनल कर सकता है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था. इस पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर उन्हें अब इस्तीफा देना ही पड़ रहा है. कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें काफी पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था. जिस तरह से पिछले चार महीने से दिल्ली की जनता विभिन्न प्रकार की दुश्वारियों से जूझ रही है, उसे ध्यान में रखते हुए उन्हें तो काफी पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने नहीं दिया. इससे पहले जब सीएम केजरीवाल को आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, तो आम आदमी पार्टी ने इसे सत्य की जीत बताया था. आप नेताओं ने एक सुर में कहा था कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं.

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