कांवड़ यात्रा मार्ग को लेकर योगी सरकार के आदेश पर भड़के आप नेता सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली, 20 जुलाई . उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी दुकानों में नेमप्लेट लगाने का निर्देश दिया है. इस फैसले पर विपक्षी दलों ने कहा है कि ऐसा कर योगी सरकार समाज में धर्म के नाम पर लोगों के बीच वैमनस्य फैलाने का प्रयास कर रही है. आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने यूपी सरकार पर हमला बोला है.

सौरभ भारद्वाक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हमारे समाज में कई कुरीतियां रहीं हैं. उनमें से सबसे बड़ी कुरीति यह रही कि दलित समाज से आने वाले हमारे भाइयों के घर पर लोग खाना नहीं खाते थे. उनका हाथ छू जाए, तो वो चीज नहीं खाते थे. आज फल बेचने वाले, सब्जी बेचने वालों में से ज्यादातर भाई दलित समाज से आते हैं. अब वो लिखेगा कि मेरा नाम फलां-फलां है. मैं नाम नहीं लेना चाहूंगा, क्योंकि वो भी गलत है, तो उससे उसकी जाति पता चलती है और आप जाति के आधार पर उसका शोषण करने के लिए एक जमीन तैयार कर रहे हैं, जो मैं समझता हूं कि बिल्कुल भी उचित नहीं है.”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है दलित समाज ने संविधान बचाने के लिए भाजपा को इस बार वोट नहीं दिया. आज दलित समाज को बेरोजगार करने की बड़ी साजिश बीजेपी द्वारा रची जा रही है, लेकिन हम इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे. हमारा दलित समाज बेरोजगार हो जाए और इन लोगों के आगे घुटने टेक दे, हम ये होने नहीं देंगे.”

बता दें कि इससे पहले विपक्ष के कई नेताओं ने योगी सरकार के इस कदम की आलोचना की थी. असदुद्दीन ओवैसी ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट को साझा करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा था.

उन्होंने कहा, “यूपी के कांवड़ मार्गों पर खौफ, यह भारतीय मुसलमानों के प्रति नफरत की हकीकत है. इस गहरी नफरत का श्रेय राजनीतिक दलों/हिंदुत्व के नेताओं और तथाकथित दिखावटी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को जाता है.”

उधर, योगी सरकार के इस कदम का जहां कुछ विपक्षी दलों ने विरोध किया तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के कई नेताओं ने इस फैसले का स्वागत भी किया.

भाजपा राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, “निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य कदम है. लोगों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़े, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है. इस आदेश में यह नहीं कहा गया है कि कहां से सामान खरीदना है, जो जहां से चाहे सामान खरीद सकता है. वैसे भी दुकान के नीचे 40 से 50 फीसद लोग अपना नाम जरूर लिखते हैं, ताकि उनकी दुकान के बारे में लोग जान सकें.”

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