New Delhi, 23 अगस्त . दिल्ली के उपGovernor वीके सक्सेना द्वारा जारी उस अधिसूचना के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) ने मोर्चा खोल दिया है, जिसमें Police अधिकारियों को थाने से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में गवाही देने की अनुमति दी गई है. ‘आप’ का कहना है कि यह आदेश पूरी तरह अवैध और न्याय व्यवस्था को कमजोर करने वाला है.
‘आप’ के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा, “एलजी साहब का यह फरमान न्याय प्रणाली का मजाक है. पहले ही Police पर Government के दबाव में झूठे मुकदमे दर्ज करने के आरोप लगते रहे हैं, अब उनकी मनमानी और बढ़ेगी. अदालतों में गवाही और वकीलों की जिरह की प्रक्रिया कमजोर हो जाएगी. इस आदेश के विरोध में दिल्ली की सभी जिला अदालतों में हड़ताल चल रही है. दिल्ली हाईकोर्ट और Supreme court की बार एसोसिएशन ने भी एलजी के आदेश का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.”
भारद्वाज ने तंज कसा कि अगर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वकील Police अधिकारी से तीखा सवाल पूछ लेगा, तो अधिकारी कैमरा बंद कर इंटरनेट खराब होने का बहाना बना सकता है और अगली सुनवाई में तैयार होकर आएगा. इससे गवाही की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होंगे और पूरी न्याय व्यवस्था प्रभावित होगी.
उन्होंने कहा कि भाजपा Government आने के बाद दिल्ली में मिडिल क्लास पर हमला हुआ, स्कूलों की फीस बढ़ी, बिजली कटौती बढ़ी और डॉक्टरों पर हमले हुए, जिन पर Police ने कार्रवाई नहीं की. अब भाजपा Government वकीलों को परेशान कर रही है और न्याय व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
पार्टी के लीगल विंग के दिल्ली अध्यक्ष एडवोकेट संजीव नासियार ने कहा कि बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) आने के बाद से ही वकीलों ने कई प्रावधानों का विरोध किया था. गृह मंत्रालय ने तब लिखित आश्वासन दिया था कि Police थाने से गवाही नहीं दी जा सकती. अब एलजी का नया आदेश उसी वादे के खिलाफ है. जब तक गवाह को कोर्ट में बुलाकर न्यायाधीश के सामने शपथ और जिरह नहीं होगी, तब तक न्याय प्रणाली कमजोर रहेगी. एलजी का यह आदेश Police को अतिरिक्त शक्ति देने और आम जनता के अधिकारों को कमजोर करने की साजिश है.
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पीकेटी/एबीएम