‘आईएएसवी त्रिवेणी’ से पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकला सैन्य महिला अफसरों का दल

New Delhi, 11 सितंबर . भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की महिला अधिकारी Thursday को समुद्र के रास्ते पूरी पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़ी हैं. New Delhi में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आईएएसवी त्रिवेणी के इस फ्लैग ऑफ समारोह को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

इस साहसिक अभियान के तहत दस महिला अधिकारियों की एक टीम नौका यात्रा पर निकली है.

सेना के मुताबिक यह पहली बार है, जब तीनों सशस्त्र बलों की महिला अधिकारी पूरी दुनिया का चक्कर लगाने के मिशन पर हैं. यह दल स्वदेशी पोत ‘आईएएसवी त्रिवेणी’ पर सवार होकर 26,000 से अधिक समुद्री मील की दूरी तय करेगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब तीनों ही सेनाओं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की महिला अधिकारी एक साथ एक ही ध्वज के नीचे पूरी पृथ्वी की परिक्रमा के अभियान पर निकल रही हैं. मुझे विश्वास है कि हमारी बेटियां इस साधना को पूरा करेंगी और दुनिया को यह दिखाएंगी कि भारतीय नारी का पराक्रम किसी भी सीमा से परे है. यह सिर्फ एक शिप की यात्रा नहीं है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह एक आत्मिक साधना भी है, यह अनुशासन और इच्छाशक्ति की यात्रा भी है. मुझे पता है कि इस यात्रा में आपको भीषण तूफानों, अकेलेपन, थकान और कभी-कभी निराशा से भी जूझना पड़ेगा, लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि आपके दिल में संकल्प की जो ज्योति जल रही है, वह इन सभी अंधेरों को चीर देगी. जब आपमिशन से लौटेंगी, तब आप सिर्फ समुद्र का चक्कर लगाकर नहीं लौटेंगी, आप भारत के नाम एक नया कीर्तिमान दर्ज करके लौटेंगी.

रक्षा मंत्री ने कहा, “इस अभियान में तीनों ही सेनाओं के अधिकारी एक साथ हैं. यह वही संयुक्तता की भावना है, जिसे हम प्रमोट कर रहे हैं. हमारी सरकार का भी यही मानना है कि जब तीनों सेनाओं में यह भावना रहेगी तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी हमारे सामने छोटी हो जाएगी. आप जिस अभियान पर निकल रहे हैं, यह अभियान भी हमें यही संदेश देता है कि जब तीनों सेनाएं एकजुट होकर आगे बढ़ती हैं तो समुद्र की लहरें भी उसके सामने छोटी पड़ जाती हैं.”

राजनाथ सिंह ने कहा कि इस पूरे अभियान में सबसे गर्व की बात यह है कि इसका नेतृत्व महिला अधिकारी कर रही हैं. अब महिलाएं केवल भागीदार नहीं हैं, बल्कि अपने भाग्य की कमांडर भी खुद ही हैं.

रक्षा मंत्री ने कहा, ”आप एक टीम के रूप में जहां-जहां भी जाएंगे, वहां अलग-अलग पोर्ट पर आप रुकेंगे. फ्रेमेंटल, लिटेल्टन, पोर्ट स्टैनली और केप टाउन जैसे बंदरगाहों पर जब आप रुकेंगे तो जाहिर सी बात है कि आप वहां के अधिकारियों, समुदायों और नेताओं से संवाद करेंगे. आपका वह संवाद केवल भारतीय सेना की शक्ति का नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और मूल्यों का भी परिचायक होगा. आप एक तरह से इस यात्रा के माध्यम से भारत की संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. आप भारत की संस्कृति को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचा रहे हैं.”

मिशन के तहत महिला सैन्य अधिकारियों का दल दो बार भूमध्य रेखा को पार करेगा. महिला अधिकारी विश्व के तीन महान समुद्री केप को पार करेंगी.

दक्षिणी महासागर और ड्रेक पैसेज जैसे दुनिया के सबसे कठिन और खतरनाक समुद्री मार्गों को पार करना भी मिशन का हिस्सा है. यह नौसंचालन अभियान केवल साहस और रोमांच का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत की नारी शक्ति, त्रि-सेवा (भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना) की एकजुटता और समुद्री कौशल का अद्भुत प्रदर्शन भी है.

यह त्रि-सेवा अभियान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की समुद्री क्षमताओं और साहसिक परंपरा का प्रदर्शन भी करेगा. सैन्य अधिकारियों का मानना है कि यह अभियान निश्चित रूप से भारत की महिलाओं और सशस्त्र सेनाओं के लिए नई प्रेरणा और गौरव का प्रतीक बनेगा.

जीसीबी/एसके/वीसी