New Delhi, 25 जुलाई . नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने Friday को कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नए स्वास्थ्य समाधानों और टेक्नोलॉजी का सत्यापन और परीक्षण किया जाए.
उन्होंने कहा कि भले ही उत्पाद कम हों, वे परिवर्तनकारी समाधान होने चाहिए, जिसके लिए सरकार और उद्योग के बीच अधिक तालमेल की आवश्यकता होगी.
New Delhi में आयोजित भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिष्ठित डिजिटल हेल्थ समिट 2025 के चौथे संस्करण में डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि हमें रिप्रोडक्टिव और बाल स्वास्थ्य, कम्युनिकेबल रोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. साथ ही नॉन कम्युनिकेबल रोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि टेक्नोलॉजी इन रोगों की रोकथाम, पहचान और जांच में कैसे मदद कर सकती है.
उन्होंने कहा, “हमें टेलीमेडिसिन, कागज रहित व्यवस्था, डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड आदि पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए. क्योंकि सरकार और उद्योग जगत के बीच एक सहज संबंध है, इसलिए हमें मिलकर काम करना होगा और 2047 के विजन की ओर बढ़ना होगा.”
उन्होंने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों के लिए व्यापक, गहन और अधिक रणनीतिक सोच की आवश्यकता है. उन्होंने स्वास्थ्य तकनीकों को तेजी से अपनाने और उनके स्मार्ट इस्तेमाल पर भी ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया.
इस प्रोग्राम की थीम “पावरिंग डिजिटल हेल्थ: विल इंडिया क्रिएट, कंप्लीट और कंप्लाई?” रखी गई थी.
इस उच्चस्तरीय उद्घाटन सत्र में, स्केलेबल हेल्थटेक, एआई-ड्रिवन केयर और डेटा-पावर्ड सॉल्यूशन की बढ़ती वैश्विक मांग के बीच, 2030 तक अनुमानित 40 अरब डॉलर के डिजिटल हेल्थ अवसर को प्राप्त करने के लिए भारत की तत्परता पर चर्चा की गई.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने कहा कि कोरोना के बाद मेडिकल सिस्टम को अपग्रेड किया गया, उस समय की तात्कालिकता के कारण टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया गया.
उन्होंने कहा, “टेक्नोलॉजी ने हमें आपातकालीन स्थिति में पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने में सक्षम बनाया. टेक्नोलॉजी ने सुनिश्चित किया कि हम कहीं बेहतर स्थिति में थे.”
उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी की ताकत इस बात में निहित है कि चिकित्सा कर्मियों की दक्षता, प्रभावशीलता और उत्पादकता को कैसे बढ़ा सकती है और वे क्या प्रदान कर सकते हैं.
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