New Delhi, 5 सितंबर . 22 सितंबर से लागू होने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में व्यापक बदलाव, उपभोग-आधारित रणनीतियों के माध्यम से विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण बदलाव है, खासकर जब अप्रत्यक्ष कर प्रतिगामी प्रकृति के हैं, Friday को एक रिपोर्ट में कहा गया है.
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, “राजकोष को जीडीपी का 0.14 प्रतिशत नुकसान होने का अनुमान है और राज्यों को संभवतः इससे भी अधिक नुकसान होगा. हालांकि, क्षतिपूर्ति उपकर (जीडीपी का लगभग 0.5 प्रतिशत) के समाप्त होने से अर्थव्यवस्था में वास्तविक रूप से मांग में वृद्धि हुई है, जबकि उस राजस्व को राजकोषीय बजटीय प्रवाह के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं थी.”
रिपोर्ट के अनुसार, यह ‘पूंजीगत व्यय पर उपभोग’ के लंबे समय से चले आ रहे क्षेत्रीय रोटेशन सिद्धांत को मजबूत करता है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “इसी तरह, ऐसे कर परिवर्तनों से वार्षिक आधार पर घरेलू मांग में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.6 प्रतिशत से अधिक का इजाफा होगा और इससे एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटो और इसी तरह के क्षेत्रों में (बड़े पैमाने पर) खपत को बढ़ावा मिलेगा.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार का अनुमान है कि जीएसटी परिवर्तनों के कारण शुद्ध राजस्व हानि 480 अरब रुपए (जीडीपी का 0.14 प्रतिशत) होगी, जिसमें सकल राजस्व हानि 930 अरब रुपए होगी, जबकि पाप/विलासिता कर की नई श्रेणी से 450 अरब रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा
वित्त वर्ष 2024 के उपभोग को आधार मानकर स्थिर गणनाएं की गई हैं. इससे बॉन्ड बाजार में फिस्कल स्लिपेज की आशंका कुछ कम होगी.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि उच्च गैर-कर राजस्व के रूप में कुछ बफर उपलब्ध हो सकते हैं, जिसे आरबीआई और पीएसयू के उच्च लाभांश के साथ-साथ आईडीबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की हिस्सेदारी बिक्री में संभावित विनिवेश से मदद मिलेगी.
जीएसटी परिषद द्वारा अनुमोदित जीएसटी रेशनलाइजेशन के परिणामस्वरूप 22 सितंबर से दोहरे स्लैब की संरचना लागू होगी. 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत जीएसटी स्लैब, वर्तमान 4-स्तरीय संरचना की जगह लेगा, साथ ही सिन गुड्स के लिए 40 प्रतिशत स्लैब भी लागू होगा.
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एसकेटी/