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Bengaluru, 17 नवंबर . कर्नाटक की राजधानी Bengaluru में एक चौंकाने वाला साइबर ठगी का मामला सामने आया है. एक व्यक्ति को डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर डराया-धमकाया गया और उससे करीब 32 करोड़ रुपए ठग लिए गए.
पीड़ित ने Police में शिकायत दर्ज कराई है. यह ठगी 15 सितंबर 2024 से शुरू हुई और कई महीनों तक चली. ठगों ने सीबीआई, साइबर क्राइम और आरबीआई का नाम लेकर पीड़ित को घर में कैदी बना दिया.
15 सितंबर की सुबह 11 बजे पीड़ित के फोन पर कॉल आई. कॉल करने वाला खुद को डीएचएल कंपनी का कर्मचारी बता रहा था. उसने कहा, “आपने Mumbai के अंधेरी डीएचएल सेंटर से एक पैकेज बुक किया है. पैकेज में 3 क्रेडिट कार्ड, 4 पासपोर्ट और ड्रग्स (एमडीएमए) मिले हैं.”
पीड़ित ने कहा, “मैं Mumbai गया ही नहीं, मैं तो Bengaluru में रहता हूं.” ठग ने जवाब दिया, “यह साइबर क्राइम है. आपका नाम, पता और फोन नंबर इस्तेमाल हुआ है.” फिर बिना कुछ कहे, कॉल को सीबीआई के नाम से किसी और को ट्रांसफर कर दिया.
सीबीआई बताने वाले व्यक्ति ने धमकाया, “सबूत आपके खिलाफ हैं. आप जिम्मेदार हैं. अगर आपने लोकल Police को बताया या वकील से मदद ली, तो आपकी जान को खतरा है. अपराधी आपके घर की निगरानी कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, “परिवार को कुछ मत बताना, वरना उन्हें भी फंसाया जाएगा.” पीड़ित के बेटे की शादी तय थी, इसलिए वह डर गया और किसी को कुछ नहीं बताया.
ठगों ने स्काइप ऐप डाउनलोड करने को कहा. एक व्यक्ति मोहित हांडा बनकर आया. उसने कहा, “कैमरा ऑन रखो, आप घर में नजरबंद हैं.” दो दिन तक पीड़ित पर नजर रखी गई. फिर प्रदीप सिंह नाम के कथित सीबीआई अधिकारी से वीडियो कॉल पर मिलवाया गया. प्रदीप सिंह ने अच्छा व्यवहार दिखाया, लेकिन डराया भी. फिर राहुल यादव नाम का एक और व्यक्ति आया, जो हफ्ते भर स्काइप पर नजर रखता रहा. पीड़ित डर की वजह से घर से बाहर नहीं निकला और काम भी घर से किया.
23 सितंबर को होटल में वीडियो कॉल करवाया गया. ठगों को पीड़ित की लोकेशन और फोन की हर कॉल की जानकारी थी. इससे वह और डर गया. फिर कहा गया, “आपकी बेगुनाही साबित करने के लिए आरबीआई से संपत्ति की जांच करानी होगी.” उन्होंने साइबर क्राइम के नितिन पटेल के हस्ताक्षर वाले नकली पत्र दिखाए.
पीड़ित से कहा गया कि अपनी सारी संपत्ति की लिस्ट दो. बैंक खातों से नाम हटाने के लिए 90 प्रतिशत पैसा जमा करो. 24 सितंबर से 22 अक्टूबर तक पीड़ित ने अपनी सारी संपत्ति की जानकारी दे दी. फिर 2 करोड़ की जमानत मांगी गई, जो 24 अक्टूबर से 3 नवंबर तक जमा कर दी गई. इसके बाद 2.4 करोड़ का टैक्स मांगा गया, जो 18 नवंबर 2024 तक दे दिया गया. इस तरह कुल 32 करोड़ रुपये की ठगी हुई.
1 दिसंबर 2024 को कथित क्लियरेंस लेटर मिला. पीड़ित के बेटे की सगाई 6 दिसंबर को हुई. लेकिन ठगी के डर और तनाव से पीड़ित बीमार पड़ गया. एक महीने से ज्यादा समय तक बिस्तर पड़ा रहा. डॉक्टरों ने मानसिक और शारीरिक इलाज किया. इस दौरान भी स्काइप पर अपडेट देना पड़ता था. ठगों ने कहा, “25 फरवरी 2025 तक सारे पैसे वापस मिलेंगे.” लेकिन बाद में फिर टैक्स मांगने लगे.
अंत में पीड़ित को शक हुआ. उसने Police में प्राथमिकी दर्ज कराई. Police ने बताया कि यह डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड का नया तरीका है. ठग विदेशी नंबर, स्काइप और नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हैं. Police ने चेतावनी दी कि कोई अज्ञात कॉल पर डरें नहीं. सीबीआई या Police कभी फोन पर पैसे नहीं मांगती. परिवार या Police को तुरंत बताएं.
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एससीएच