New Delhi, 15 अगस्त . उद्योग विशेषज्ञों ने Friday को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर की गई घोषणाओं की सराहना की, जिसमें उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में अगली पीढ़ी के सुधार लाने की बात कही.
उद्योग जगत के नेताओं ने कहा कि इस कदम से आम आदमी को कर में राहत मिलेगी और छोटे उद्योगों को लाभ होगा.
उन्होंने आगे कहा कि ये सुधार एमएसएमई और बड़े उत्पादकों के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे.
ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर-टैक्स प्लानिंग एंड ऑप्टिमाइजेशन, कृष्ण अरोड़ा ने कहा, “जीएसटी रेट स्ट्रक्चर को युक्तिसंगत बनाने की बात पिछले कुछ समय से चल रही थी. प्रधानमंत्री की घोषणा के साथ, ऐसा लगता है कि दरों का निर्धारण पूरा हो गया है और दैनिक उपभोग की वस्तुओं की दरों में 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कमी की उम्मीद की जा सकती है, जिससे न केवल अंतिम उत्पाद की कीमतें कम होंगी, बल्कि विशेष रूप से एमएसएमई के लिए खपत और मांग को भी बढ़ावा मिलेगा.”
ईवाई के वरिष्ठ सलाहकार सुधीर कपाड़िया ने कहा कि जीएसटी सुधार एक बेहद जरूरी कदम है और प्रधानमंत्री की ओर से सीधे तौर पर यह निर्देश इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि यह न केवल एक इरादा है, बल्कि दिवाली के साथ एक समय-सीमा के साथ उठाए जाने वाला कदम भी है.
उन्होंने आगे कहा, “अब समय आ गया है कि ये सुधार लागू किए जाएं.”
प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बाद, वित्त मंत्रालय ने भी एक सरलीकृत, द्वि-स्तरीय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली का प्रस्ताव रखा है, जिसमें मानक और योग्यता स्लैब के साथ-साथ चुनिंदा वस्तुओं के लिए विशेष दरें भी शामिल होंगी.
इस मामले पर विचार करने के लिए जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) को जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने और उनमें सुधार लाने के सरकार के प्रस्ताव प्राप्त हो गए हैं.
सभी सामाजिक वर्गों, विशेष रूप से औसत व्यक्ति, महिलाओं, छात्रों, मध्यम वर्ग और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कर दरों को युक्तिसंगत बनाना, अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए निर्धारित प्रमुख क्षेत्रों में से एक है.
केपीएमजी इन इंडिया के पार्टनर और राष्ट्रीय प्रमुख (अप्रत्यक्ष कर) अभिषेक जैन ने कहा कि सरकार का दो-दर वाले जीएसटी (और चुनिंदा वस्तुओं पर एक अवगुण दर) की ओर बढ़ने का इरादा, साथ ही सुव्यवस्थित इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड (इनवर्टेड ड्यूटी और निर्यात दोनों पर), स्पष्ट रूप से प्रणाली को अधिक कुशल बनाने की दिशा में एक सही कदम है. यह सरलता और राजकोषीय विवेकशीलता के बीच संतुलन स्थापित करता है, जो एक परिपक्व जीएसटी व्यवस्था का संकेत देता है.”
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