चर्चा में जबलपुर का एक कैलेंडर, इसमें ‘डिजिटल अरेस्ट’ से बचाव की जानकारी

जबलपुर, 11 जनवरी . डिजिटल अरेस्ट से बचाव के लिए लाला रामस्वरूप कैलेंडर में जानकारी दी गई है. आमतौर पर कलेंडर में साल की छुट्टियों सहित व्रत त्योहार के बारे में जानकारी होती है. लेकिन, जबलपुर से निकलने वाले इस कलेंडर में आम लोगों को डिजिटल अरेस्ट से बचाने के लिए जानकारियां साझा की गई हैं.

बताया गया है कि आजादी से पहले से लाला रामस्वरूप कैलेंडर प्रकाशित किया जा रहा है. भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग इस पंचांग के माध्यम से अपने व्रत त्योहारों के बारे में जानकारी ले रहे हैं.

से बातचीत में लाला रामस्वरूप रामनारायण एंड संस के संपादक प्रहलाद अग्रवाल ने कहा कि इस कैलेंडर की शुरुआत 1934 में हुई थी. मेरे पिताजी पंचांग के माध्यम से लोगों को त्योहार और व्रत के बारे में बताते थे. चूंकि व्रत-त्योहार पंचांग में देखना कठिन था, इसलिए वह अंग्रेजी कैलेंडर में दर्ज कर लेते थे.

उन्होंने सोचा कि लोगों की सहूलियत को देखते हुए इसकी प्रतियां लोगों में बांटी जाएं, जिससे वे अपने क्षेत्रों में इसका प्रचार-प्रसार कर सकें. क्योंकि, पंचांग पूछने के लिए काफी संख्या में लोग आते थे.

500 प्रतियों के साथ उन्होंने इसकी शुरुआत की. आगे चलकर यह हमारा व्यवसाय बन गया.

आज स्थिति यह है कि हमारा कैलेंडर जबलपुर से मध्यप्रदेश में फैला, आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारा कैलेंडर मिल जाता है.

दुबई, ऑस्ट्रेलिया से भी लोग बताते हैं कि हमारा पंचांग वहां मिल रहा है.

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से एक वीडियो सामने आया था, जिसमें पंचांग दिखाते हुए एक महिला गौरवान्वित हो रही थीं.

इस पंचांग के माध्यम से हम लोगों को जागरूक करना चाहते हैं. जिससे हम सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकें.

एक पंचांग को तैयार करने में एक साल का वक्त लगता है और जनता की जरूरत के हिसाब से इसमें चीजें डाली जाती हैं. कैलेंडर में डिजिटल अरेस्ट के बारे में जानकारी दी गई है. इसके अलावा साइबर ठगी से बचाव के लिए हर साल हम इस कैलेंडर में जानकारी देते हैं.

डीकेएम/केआर