New Delhi, 12 अगस्त . उषा नेगिसेटी भारत की प्रसिद्ध बॉक्सर हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया. उषा एशियाई खेलों और वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक विजेता रही हैं. अपने आक्रामक खेल और बेहतरीन तकनीक के लिए पहचाने जाने वाली उषा ने भारतीय महिला बॉक्सिंग को खास पहचान दिलाई है.
13 अगस्त 1984 को आंध्र प्रदेश में एन वी रमण और एन उमामहेश्वरी के घर एक बेटी का जन्म हुआ, जिसका नाम उषा नेगिसेटी रखा गया. उषा के पिता खुद एक एथलीट थे. खेल उषा की रगों में था. खिलाड़ियों के बीच पली-बढ़ीं उषा को मुक्केबाजी का शौक था. उषा के भाई भी एक मुक्केबाज थे.
उषा साल 2002 में कोच इनुकुर्ती वेंकटेश्वर राव से मिलीं और उनसे इस खेल की बारीकियां सीखनी शुरू कीं.
साल 2008 में उषा ने एशियन विमेंस बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इसी साल उन्होंने एआईबीए विमेंस बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया.
साल 2009 में उषा नेगिसेटी एकमात्र महिला मुक्केबाज थीं, जिन्हें पुरुषों की वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में प्रदर्शन मुकाबलों के लिए आमंत्रित किया गया.
जब कोच को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने इसे न केवल उषा के लिए, बल्कि भारतीय मुक्केबाजी के लिए भी एक गौरवशाली क्षण बताया था.
साल 2011 में उषा नेगिसेटी ने फेडरेशन कप में गोल्ड जीता. उन्होंने नेशनल चैंपियन प्रीति बेनीवाल के खिलाफ जीत हासिल की. पहले राउंड में प्रीति बढ़त बना चुकी थीं. एक पल ऐसा लग रहा था क उषा बाउट हार जाएंगी, लेकिन अंत में नेगिसेटी ने पासा पलट दिया. इस जीत के बाद उषा ने खुलासा किया था कि वह अपनी ऊर्जा बचाकर आखिरी दो राउंड में पूरी ताकत झोंकना चाहती थी. उनकी यह रणनीति आखिरकार कामयाब रही.
अखिल भारतीय पुलिस बॉक्सिंग मीट और इंटर-जोनल नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी उषा गोल्ड पर अपना पंच जमा चुकी हैं.
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आरएसजी