New Delhi, 12 अगस्त . Supreme court ने 10 से 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहन मालिकों पर किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न किए जाने का आदेश दिया है.
Tuesday को मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की पीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब दिल्ली Government की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने Supreme court से कोई दंडात्मक कदम न उठाने का आदेश देने पर विचार करने की अपील की थी.
बता दें कि Supreme court ने केंद्र Government को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है. तब तक के लिए 10 से 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों के मालिकों पर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है.
26 जुलाई को दिल्ली Government ने Supreme court का दरवाजा खटखटाकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में चल रहे 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा करने की मांग की थी. दिल्ली Government का तर्क है कि मौजूदा पॉलिसी से मध्यम वर्ग पर अनुचित दबाव पड़ रहा है.
रेखा गुप्ता Government ने 2018 के उस नियम पर पुनर्विचार करने की मांग की थी, जिसमें पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया गया है. Supreme court से अनुरोध किया गया कि वह केंद्र Government या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्देश दे. यह अध्ययन वाहनों की उम्र के आधार पर लगाए गए प्रतिबंध के वास्तविक पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करेगा और मूल्यांकन करेगा कि क्या यह कदम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
याचिका में कहा गया कि सभी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर पड़ने वाले असर और निष्पक्षता की दोबारा जांच की जाए. Government एक अधिक सटीक, उत्सर्जन-आधारित नियामक ढांचे की वकालत करती है, जो वाहन की उम्र के बजाय उससे होने वाले वायु प्रदूषण और गाड़ी की फिटनेस को ध्यान में रखे.
दिल्ली Government ने शीर्ष अदालत को बताया कि बीएस-6 वाहन, बीएस-4 वाहनों की तुलना में काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं.
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वीकेयू/केआर