New Delhi, 11 अगस्त . पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, तमिलनाडु वन विभाग के साथ मिलकर Tuesday को कोयंबटूर में ‘विश्व हाथी दिवस’ समारोह का आयोजन करेगा. यह वार्षिक आयोजन, हाथियों के संरक्षण और उनके दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने के उपायों को मजबूत करने की वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे. इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कृति वर्धन सिंह और तमिलनाडु सरकार के वन एवं खादी मंत्री थिरु आर.एस. राजाकन्नप्पन भी उपस्थित रहेंगे. इसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, तमिलनाडु वन विभाग, रेल मंत्रालय और अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे.
इस अवसर पर एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसमें लगभग 5,000 स्कूलों के करीब 12 लाख छात्रों को शामिल किया जाएगा. यह पहल हाथियों के संरक्षण के प्रति व्यापक सार्वजनिक पहुंच और प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
विश्व हाथी दिवस समारोह के अंतर्गत, कोयंबटूर में मानव-हाथी संघर्ष पर एक केंद्रित कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा. इस कार्यशाला का उद्देश्य हाथी-क्षेत्र वाले राज्यों को मानव-हाथी सह-अस्तित्व से संबंधित अपनी चुनौतियों को साझा करने और अपने-अपने क्षेत्रों में लागू किए जा रहे संघर्ष के समाधान उपायों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करना है. यह पहल प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत चल रहे प्रयासों के अनुरूप है, जो मानव और हाथियों के बीच संघर्ष को दूर करने के लिए सामुदायिक भागीदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर बल देता है.
यह कार्यशाला ऐसे समय में आयोजित की जा रही है, जब भोजन और पानी की तलाश में हाथियों के मानव बस्तियों में घुसने की घटनाएं बढ़ी हैं. इस मामले में राज्यों के बीच नवीन समाधानों और सहयोग की आवश्यकता है. विशेषज्ञ, नीति-निर्माता, संरक्षणवादी और वन अधिकारी, आवास प्रबंधन और गलियारों के रखरखाव, उच्च-संघर्ष वाले क्षेत्रों में जागरूकता सृजन और क्षमता निर्माण के मामले में सर्वोत्तम उपायों पर विचार-विमर्श करेंगे. इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण का लक्ष्य, वन्यजीव संरक्षण और मानव कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करने और समुदायों व हाथियों के बीच दीर्घकालिक सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है.
भारत में हाथी गलियारों पर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत जंगली हाथियों की आबादी भारत में ही रहती है, जहां 33 हाथी अभयारण्य और 150 चिन्हित हाथी गलियारे हैं. मजबूत कानूनी संरक्षण, सुदृढ़ संस्थागत ढांचे और व्यापक जन-समर्थन के साथ, देश को मानव कल्याण और वन्यजीव संरक्षण के बीच सामंजस्य स्थापित करने में दुनिया भर में अग्रणी माना जाता है. हाथियों को राष्ट्रीय विरासत पशु का दर्जा प्राप्त है और वे देश की परंपराओं और संस्कृति में गहराई से समाए हुए हैं.
अपनी जैविक और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध तमिलनाडु, हाथियों की एक महत्वपूर्ण आबादी को पोषित करता है और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोयंबटूर में होने वाला यह कार्यक्रम वन अधिकारियों, नीति निर्माताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए संरक्षण रणनीतियों और संघर्ष समाधान पर विचारों के आदान-प्रदान हेतु एक मंच के रूप में कार्य करेगा.
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एसके/एबीएम