बिहार में मतदाताओं के 127 दावों और आपत्तियों का किया गया निपटारा : चुनाव आयोग

New Delhi, 11 अगस्त . बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संबंध में मतदाताओं से सीधे प्राप्त 10,570 में से 127 दावों और आपत्तियों का अधिकारियों की ओर से अब तक निपटारा कर दिया गया है. यह जानकारी चुनाव आयोग ने Monday को दी.

चुनाव आयोग ने आगे कहा कि मतदाता सूची के प्रकाशन के 11 दिन बाद भी किसी भी Political दल ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है.

जिस दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित विपक्षी दलों के नेताओं को कुछ राज्यों की वोटर लिस्ट में कथित हेराफेरी के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया, उसी दिन चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार में 1 अगस्त से अब तक 54,432 नए मतदाताओं ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन दाखिल किए हैं, जो एसआईआर प्रक्रिया के बाद 18 वर्ष के हो गए हैं.

बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर विपक्षी दलों ने कथित अनियमितताओं को लेकर हमला बोला. उनका आरोप है कि इससे लाखों मतदाताओं के मताधिकार छिनने का खतरा है. चुनाव आयोग ने इस आरोप का खंडन किया है.

चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को अपनी मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की और लोगों, दलों और उनके बूथ-स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के लिए मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या बाहर करने के संबंध में अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक महीने का समय रखा है.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास 47,506 बीएलए हैं. कांग्रेस के पास 17,549 और वाम दलों के पास 2,000 से ज्यादा यानी कुल मिलाकर 67,000 से अधिक बीएलए हैं.

चुनाव आयोग नियमित रूप से Political दलों से संशोधन प्रक्रिया में शामिल होने और मताधिकार से वंचित होने के मामलों को, यदि कोई हो, आयोग के संज्ञान में लाने का अनुरोध कर रहा है.

चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, “1 अगस्त को प्रकाशित बिहार की मतदाता सूची के मसौदे में किसी भी त्रुटि को सुधारने के लिए अपने दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करें. अब तक किसी भी Political दल ने एक भी दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है.”

चुनाव आयोग ने 24 जून से लेकर 25 जुलाई तक एसआईआर अभियान चलाया था. इस प्रक्रिया के दौरान कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किए.

अंत में 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची से लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इनमें 22 लाख मृतक मतदाता (2.83 प्रतिशत), 36 लाख (4.59 प्रतिशत) जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए थे या नहीं मिले, और सात लाख (0.89 प्रतिशत), जिन्होंने एक से अधिक स्थानों पर नामांकन कराया था, शामिल थे.

चुनाव आयोग ने Monday को फिर दोहराया कि एसआईआर का उद्देश्य सभी मतदाताओं और सभी Political दलों की भागीदारी सुनिश्चित करना है, ताकि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए.

डीकेपी/