सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर को वीके सक्सेना मानहानि मामले में नहीं दी राहत, निचली अदालत के फैसले पर हस्तक्षेप से इनकार

New Delhi, 11 अगस्त . सर्वोच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को निचली अदालत से मिली सजा और दोषसिद्धि के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. यह मामला 2001 में वी.के. सक्सेना (जो अब दिल्ली के उपGovernor हैं) द्वारा उनके खिलाफ दायर किया गया था. हालांकि, अदालत ने पाटकर को थोड़ी राहत भी दी है. उन पर लगाए गए जुर्माने और प्रोबेशन की सजा दोनों को निरस्त कर दिया है.

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोषी ठहराने के फैसले में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. पाटकर ने इस फैसले को Supreme court में चुनौती दी थी.

यह मानहानि मामला वर्ष 2000 का है, जब वर्तमान में दिल्ली के उपGovernor विनय कुमार सक्सेना Gujarat के एक सामाजिक संगठन के अध्यक्ष थे. उस समय मेधा पाटकर ने उन पर कई आरोप लगाए थे. जिसके बाद 2001 में, सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ दो मानहानि के मुकदमे दायर किए—एक टेलीविजन साक्षात्कार के दौरान कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर, और दूसरा एक प्रेस बयान से संबंधित था. वरिष्ठ अधिवक्ता गजिंदर कुमार ने अदालत में सक्सेना का पक्ष रखा.

यह कानूनी विवाद पाटकर के 2000 में दायर एक पूर्व मुकदमे से उत्पन्न हुआ था, जिसमें सक्सेना पर उन्हें और एनबीए को निशाना बनाकर अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया था.

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 1 जुलाई 2024 को पाटकर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत दोषी करार देते हुए पांच महीने के साधारण कारावास और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. बाद में सेशन कोर्ट ने अच्छे आचरण के आधार पर उन्हें 25,000 रुपये के प्रोबेशन बांड पर रिहा कर दिया था, लेकिन एक लाख रुपये का जुर्माना भुगतान करने की शर्त लगाई थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था, हालांकि उसने पाटकर को राहत देते हुए प्रोबेशन की उस शर्त में संशोधन कर दिया था, जिसके तहत उन्हें हर तीन महीने में ट्रायल कोर्ट में पेश होना पड़ता था. हाईकोर्ट ने यह सुविधा दी थी कि वह ऑनलाइन या वकील के माध्यम से पेश हो सकती हैं.

बता दें कि विनय कुमार सक्सेना ने 2001 में यह मामला दर्ज कराया था, जब वह Ahmedabad स्थित एनजीओ ‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के प्रमुख थे.

पीएसके/केआर