Mumbai , 10 अगस्त . चुनाव आयोग के गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाने को लेकर शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग किसी पार्टी की मान्यता बनाए रखे या रद्द करे, यह वही जाने, लेकिन हमने जो चुनावी गड़बड़ी पकड़ी है, उस पर चर्चा कब होगी?”
उन्होंने कहा कि विपक्ष का आरोप है कि चुनाव में धांधली हो रही है और लाखों फर्जी वोटर आईडी कार्ड बनाए जा रहे हैं.
आनंद दुबे ने से बातचीत के दौरान कहा, “आयोग ने कहा कि शरद पवार एनसीपी नेता नहीं हैं और उद्धव ठाकरे ने शिवसेना नहीं बनाई. आयोग को असीम शक्तियां मिल गई हैं, पर Supreme court उसके ऊपर है. सत्य की जीत होगी और जनता जाग चुकी है; अब आयोग बच नहीं पाएगा.”
आनंद दुबे ने बिहार एसआईआर पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि एसआईआर एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर सरकार और चुनाव आयोग को विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए. पश्चिम बंगाल और बिहार में चुनाव स्वतंत्र रूप से होते हैं, लेकिन धांधली और धोखेबाजी बंद होनी चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि सरकार एसआईआर पर बहस क्यों नहीं कर रही है, जबकि यह मतदाता सूची और वोटिंग प्रक्रिया में सुधार ला सकता है. दुबे ने कहा कि एसआईआर पर सार्वजनिक चर्चा और पारदर्शिता जरूरी है. विपक्ष भी समय-समय पर इसकी मांग करता रहा है, लेकिन इसे एकतरफा या बंद कमरे में नहीं, सबके सामने लागू किया जाना चाहिए.
चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गांधी घोषणा पत्र दें या झूठे आरोपों के लिए देश से माफी मांगें. आनंद दुबे ने इस पर कहा कि राहुल गांधी ने बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. चुनाव में चोरी हुई और पकड़ी भी गई है. हम विपक्ष की ओर से मांग करते हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस्तीफा दें, क्योंकि वे यह जिम्मेदारी नहीं निभा पाए. किसी जिम्मेदार व्यक्ति को नियुक्त किया जाए जो राहुल गांधी की बात सुनें और उन्हें डिजिटल वोटर लिस्ट उपलब्ध कराएं. हार्ड कॉपी जमा करने में छह महीने लग रहे हैं और हर बिंदु पर गहन अध्ययन करना पड़ रहा है. राहुल गांधी न केवल नेता प्रतिपक्ष हैं, बल्कि देश के बड़े नेता हैं. अजीब है कि ईसीआई से सवाल पूछने पर भाजपा जवाब देती है.
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एएसएच/केआर