चीन ने पीएम मोदी का एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए किया स्वागत, बताया एकता और मित्रता का प्रतीक

बीजिंग, 8 अगस्त . चीन ने Friday को कहा कि वह Prime Minister Narendra Modi का शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन आने का स्वागत करता है, जो इस महीने के अंत में तिआनजिन शहर में आयोजित किया जाएगा.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बीजिंग में नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, “चीन Prime Minister मोदी का तिआनजिन एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन आने का स्वागत करता है. हमें विश्वास है कि सभी पक्षों के संयुक्त प्रयासों से तिआनजिन शिखर सम्मेलन एकजुटता, मित्रता और सार्थक परिणामों का आयोजन होगा और एससीओ एक नए उच्च-गुणवत्ता वाले विकास के चरण में प्रवेश करेगा, जिसमें अधिक एकता, समन्वय, गतिशीलता और उत्पादकता होगी.”

उन्होंने बताया कि “चीन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तिआनजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इस आयोजन में एससीओ के सभी सदस्य देशों सहित 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भाग लेंगे. यह एससीओ के गठन के बाद से अब तक का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन होगा.”

रिपोर्ट्स के अनुसार, Prime Minister मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच तिआनजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन यात्रा करेंगे. यह 2020 में गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा होगी, जिसने भारत-चीन संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था.

Prime Minister मोदी इससे पहले 2019 में चीन गए थे. इसके अलावा उन्होंने 2024 में रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी President शी जिनपिंग से मुलाकात की थी.

India और चीन के बीच चार साल से चले आ रहे सीमा गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति उस समय हुई जब दोनों देशों ने लगभग 3500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के लिए समझौता किया.

जुलाई में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तिआनजिन में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से भी मुलाकात की और साथ ही सभी विदेश मंत्रियों के साथ President शी जिनपिंग से भी भेंट की.

जून में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन का दौरा किया था. India ने उस बैठक की संयुक्त घोषणा का समर्थन करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उसमें आतंकवाद से संबंधित चिंताओं को शामिल नहीं किया गया था. India का कहना था कि दस्तावेज में आतंकवाद के मुद्दे को शामिल किया जाना चाहिए, जो एक विशेष देश को स्वीकार नहीं था, इसलिए संयुक्त वक्तव्य को अपनाया नहीं गया.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भी बीजिंग में आयोजित एससीओ सदस्य देशों के सुरक्षा परिषद सचिवों की 20वीं बैठक में हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड को समाप्त करने और यूएन द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और उनके नेटवर्क को समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया.

गौरतलब है कि एससीओ एक स्थायी अंतर-Governmentी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में की गई थी. इसके सदस्य देशों में भारत, चीन, रूस, Pakistan, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं.

डीएससी/