डोनाल्ड ट्रंप का 50 प्रतिशत वाला टैरिफ बम, भारत के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’

New Delhi, 7 अगस्त . अमेरिकी President द्वारा रह-रहकर India को टैरिफ का दिखाया जा रहा डर अब उनके लिए ही परेशानी का कारण बनता जा रहा है. पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से अमेरिका India के खिलाफ टैरिफ बम फोड़ने की धमकी दे रहा है, उसका माकूल जवाब India Government की तरफ से दिया जा रहा है.

दरअसल, India एक ऐसा वैश्विक बाजार बन चुका है, जिसकी जरूरत दुनिया के देशों को अपना व्यापार चलाने के लिए है. इसकी सबसे बड़ी वजह India की परचेजिंग पावर पैरिटी है. India इस मामले में अमेरिका से आगे है और यही वजह है कि India के बाजार पर पूरी दुनिया की नजर है.

पिछले कुछ दिनों में India को अमेरिकी President द्वारा दी जा रही टैरिफ धमकी का जवाब जिस तरह से दिया जा रहा है, वह India की वैश्विक ताकत को दिखाता है. एक तरफ जहां India के खिलाफ टैरिफ की धमकी अमेरिका के President दे रहे हैं तो उनका जवाब India की तरफ से देने के लिए विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता सामने आ रहे हैं. मतलब दुनिया के सबसे ताकतवर देश होने का दंभ भरने वाले अमेरिका के President की धमकी का जवाब भी India के Prime Minister या विदेश मंत्री स्तर के नेता के द्वारा नहीं दिया जा रहा है.

अब एक बार India की तरफ से किए गए निश्चय पर ध्यान दें तो आपको पता चल जाएगा कि आखिर India अमेरिका की टैरिफ वाली धमकी को इतनी गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा है. India ने ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी पर जो जवाब दिया है, उसका संदेश साफ है. India की तरफ से दिए गए जवाब को देखेंगे तो इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका के टैरिफ की India को कोई चिंता नहीं है और इसकी सबसे बड़ी वजह India का खुद आत्मनिर्भर बनना है. चाहे वह रक्षा का मामला हो या सुरक्षा का. दूसरी तरफ यह भी देखा जा रहा है कि अमेरिका से डील की किसी डेडलाइन की चिंता India में दिख नहीं रही है और Government की तरफ से साफ संदेश जा रहा है कि India प्रेशर में आने वाला नहीं है, ना ही प्रेशर में आकर कोई डील करेगा. इसके साथ ही India ट्रंप की मंशा भी अच्छी तरह से समझ रहा है कि अमेरिका India के पूरे बाजार में बेरोकटोक एक्सेस चाहता है जो किसी हाल में India देने को तैयार नहीं है.

इसके साथ ही Narendra Modi Government देश के किसानों और छोटे व्यवसायियों को किसी भी हाल में नुकसान होने देने के मूड में नहीं दिख रही है. वहीं, अमेरिका की तरफ से इस टैरिफ धमकी के जरिए इस पर भी दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है कि India अपने सबसे पुराने मित्र रूस से अपनी दोस्ती समाप्त कर ले तो India का यह संदेश भी स्पष्ट है कि ऐसा कभी होने वाला नहीं है.

India की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ बताने वाले अमेरिकी President ट्रंप को भी पता है कि India का बाजार जिस दिन अमेरिका के लिए बंद हुआ, उस दिन उनकी कई कंपनियों पर ताले लग जाएंगे. इसकी सबसे बड़ी वजह India की परचेजिंग पावर पैरिटी है. अब एक बार जानिए कि परचेजिंग पावर पैरिटी है क्या?

दरअसल, क्रय-शक्ति समता (परचेजिंग पावर पैरिटी- पीपीपी) अंतरराष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत है. जिसको आसान भाषा में समझिए कि यह एक-दूसरे देश में जीवन शैली पर किए गए व्यय के अनुपात को दर्शाता है. इसके अनुसार विभिन्न देशों में एकसमान वस्तुओं की कीमत समान रहती है. मतलब परचेजिंग पावर पैरिटी विभिन्न देशों में कीमतों का माप है, जो देशों की मुद्राओं की पूर्ण क्रय शक्ति की तुलना करने के लिए विशिष्ट वस्तुओं की कीमतों का उपयोग करती है.

यानी प्रत्येक देश में सामान और सेवाएं खरीदने के लिए एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में परिवर्तित करना होता है. अब इसे ऐसे समझें कि India के मध्यम वर्ग के लिए एक साल का बजट अगर 25 लाख का होता है, तो अमेरिका के मध्यम वर्गीय परिवार के लिए यही बजट यहां की मुद्रा के अनुसार 80 लाख से ज्यादा होता है.

अब India ने अमेरिका के उस दोहरे रवैये को भी उजागर कर दिया है, जिसमें अमेरिका India को रूस से दोस्ती और व्यापार खत्म करने के लिए धमकी दे रहा है. वहीं, वह खुद रूस से भारी मात्रा में तेल, गैस और फर्टिलाइजर खरीदता है.

हालांकि, India का विपक्ष अमेरिकी President के India के ‘डेड’ इकोनॉमी वाले दावे पर Government को घेरने की कोशिश तो कर रहा है. लेकिन, विपक्ष के शशि थरूर, मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला के साथ कई अन्य नेता भी हैं, जो ट्रंप के इस दावे को भद्दा मजाक तक बता दे रहे हैं. मतलब India में तो ट्रंप के दावे को भी मजाक में ही लिया जा रहा है.

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता में वापसी के बाद दुनिया के 70 से ज्यादा देशों पर टैरिफ बम फोड़ रखा है और उसे भी यह पता है कि इससे अमेरिका को भी बड़ा नुकसान होने वाला है. इसको सबसे पहले टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने समझा और उन्होंने सबसे पहले अमेरिकी President का विरोध करते हुए उनका साथ छोड़ दिया. ट्रंप के टैरिफ बम वाले दिखावे की वजह से अमेरिका के उद्योगपति भी घबराए हुए हैं. डोनाल्ड ट्रंप के साथ जिन देशों ने ट्रेड डील करने का दावा किया, उन्हें भी इस टैरिफ के मामले में नहीं बख्शा गया है. अब Pakistan को हीं देख लें, जिस देश का सेना प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर रहा है, उस पर भी ट्रंप ने 19 प्रतिशत टैरिफ ठोंक रखा है.

वैसे भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की व्यापक सफलता के बाद से India में निर्मित हथियारों की दुनिया में तेजी से मांग बढ़ी है. ऐसे में अमेरिका, जो अपने आप को आधुनिक हथियारों का सबसे बड़ा डीलर मानता है, उसकी चिंता ज्यादा बढ़ गई है.

दूसरा, India तेल की खरीदारी भी भारी मात्रा में रूस से करता है, जबकि अमेरिका इस पर भी नजरें गड़ाए बैठा है कि India रूस को छोड़कर उससे तेल का सौदा करे. लेकिन, इस सब के बीच जैसे ही ट्रंप ने India के खिलाफ 50 प्रतिशत टैरिफ की बात कही, उससे पहले पीएम मोदी के चीन दौरे और फिर President व्लादिमीर पुतिन के India दौरे की खबर ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी है. अमेरिका जानता है कि रूस, चीन और India अगर एक बेस पर आ गए तो अमेरिका के लिए यह बड़ा महंगा पड़ सकता है. डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि India के खिलाफ जो उनका टैरिफ बम है, वह उनके देश की सेहत को भी नुकसान पहुंचाएगा. अमेरिका में दवाएं, ज्वेलरी, गोल्ड प्लेटेड गहने, स्मार्टफोन, तौलिये, बेडशीट, बच्चों के कपड़े तक महंगे हो जाएंगे.

अभी ये तो India की बात थी, लेकिन देखिए कैसे अमेरिका के खिलाफ दुनिया के और देश आगे आए हैं. India की वैश्विक ताकत का अंदाजा इससे लगाइए कि अभी कुछ दिन पहले विदेशी मीडिया की खबरों के अनुसार ब्राजील के President लूला दा सिल्वा ने अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे को सुलझाने के लिए ट्रंप से बात करने के सवाल पर साफ कह दिया कि उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है. इसके बजाय वे India के पीएम Narendra Modi को कॉल कर लेंगे, चीन के President शी जिनपिंग को कॉल कर लेंगे, लेकिन वे ट्रंप को कॉल नहीं करेंगे.

लूला ने जो कहा उसके अनुसार, ”मैं ट्रंप को कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे बात ही नहीं करना चाहते हैं, मैं शी जिनपिंग को कॉल करूंगा, मैं पीएम मोदी को कॉल करूंगा, मैं पुतिन को इस समय कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे अभी यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन मैं कई और Presidentयों को कॉल करूंगा.”

लूला के इस बयान से ट्रंप को कैसी मिर्ची लगी होगी, यह तो सभी जानते हैं. उधर, पीएम मोदी का जिस अंदाज में लूला ने नाम लिया, वह भी ट्रंप के लिए चुभने वाला है. लूला ने तो ट्रंप की नीतियों को “ब्लैकमेल” बताते हुए साफ कर दिया कि अमेरिका ब्राजील पर टैरिफ लगाकर देखे, ब्राजील भी इसका जवाब शुल्क लगाकर देगा.

इसके साथ ही India और रूस की दोस्ती ही केवल अमेरिकी President की घबराहट की वजह नहीं है. दरअसल, भारत-Pakistan और कंबोडिया और थाइलैंड के बीच सीजफायर को लेकर ट्रंप ने जैसे अपनी पीठ बिना किसी बात के थपथपाई वही कोशिश वह रूस-यूक्रेन के बीच भी सीजफायर होने के बाद करना चाह रहे थे. लेकिन, यूक्रेन-रूस की जंग रोकने के लिए ट्रंप ने जितने हथकंडे अपनाए सब फेल हो गए. पुतिन को ट्रंप ने हाई टैरिफ की धमकी भी दी, लेकिन रूस पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ा तो ट्रंप बैखला गए. इसके बाद ट्रंप ने रूस के मित्र देशों और उनके साथ व्यापार करने वालों को निशाना बनाना शुरू किया. इसमें सबसे पहले ट्रंप के निशाने पर भारत, चीन और ब्राजील आए, लेकिन तीनों ही देशों पर ट्रंप की धमकी का वैसा ही असर पड़ा, जैसा रूस पर पड़ा था. अब ट्रंप गुस्से से आग बबूला होकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.

वहीं, ट्रंप ब्रिक्स देशों के फाउंडर रहे India के खिलाफ तो टैरिफ की धमकी दे ही रहे हैं. वह ब्रिक्स में शामिल अन्य देशों के खिलाफ भी 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दे चुके हैं. ब्रिक्स दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें, ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है. इन ब्रिक्स देशों की तरफ से एक-दूसरे से अपनी करेंसी में ट्रेड किया जाता है, वहीं इस समूह ने एक प्रपोजल भी दिया था कि इन देशों के बीच ट्रेड के लिए एक इंटरनेशनल करेंसी तैयार की जाए, ऐसे में डॉलर पर बड़े देशों या कहें कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की निर्भरता कम हो जाने से अमेरिका का विश्व में प्रभुत्व बरकरार रखने पर भी खतरा मंडराएगा. ट्रंप को यह चिंता भी सता रही है.

जिस तरह से India डोनाल्ड ट्रंप की तमाम धमकियों के बाद भी अपने रुख पर अड़ा हुआ है और भारतीय बाजार को अमेरिका के लिए उसकी शर्तों पर खोलने के लिए तैयार नहीं हो रहा है. इससे भी ट्रंप के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ उभर आई हैं. ऐसे में अब ट्रंप को India से जिस भाषा में जवाब मिल रहा है, वह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि अमेरिका की टैरिफ धमकी India के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’ जैसी है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.

जीकेटी/