तमिलनाडु सरकार को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने ‘उंगलुदन स्टालिन योजना’ पर मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द

New Delhi, 6 अगस्त . Supreme court ने Wednesday को तमिलनाडु Government को ‘उंगलुदन स्टालिन योजना’ को लेकर बड़ी राहत दी है. Supreme court ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें Governmentी कल्याणकारी योजनाओं के विज्ञापनों में Chief Minister और राजनेताओं की तस्वीरें लगाने पर रोक लगाई गई थी.

Supreme court ने एआईएडीएमके सांसद सी.वी.षणमुगम पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने Political लड़ाई के लिए अदालत का दुरुपयोग किया. अगर याचिकाकर्ता को फंड के दुरुपयोग की चिंता थी, तो उसे सभी ऐसी योजनाओं को चुनौती देनी चाहिए थी, न कि केवल एक पार्टी के खिलाफ.

एआईएडीएमके सांसद सी.वी.षणमुगम ने ‘उंगलुदन स्टालिन योजना’ को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य Government को कल्याणकारी योजनाओं में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम व तस्वीरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी.

कोर्ट ने नाराजगी जताई कि याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करने के तीन दिन बाद ही आयोग के फैसले का इंतजार किए बिना, अदालत में याचिका दायर कर दी. इससे चुनाव आयोग की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया. तमिलनाडु Government के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि कई Governmentी योजनाओं में पहले भी राजनेताओं के नाम और तस्वीरें इस्तेमाल होती रही हैं. Supreme court ने कहा कि ‘कॉमन कॉज’ मामले में Prime Minister, President, सीजेआई, और Chief Minister की तस्वीरों को विज्ञापनों में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी.

वकील पी. विल्सन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि Supreme court ने तमिलनाडु Government की विशेष याचिका पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. यह याचिका मद्रास हाई कोर्ट के उस अंतरिम आदेश के खिलाफ थी, जिसमें Government की योजनाओं में Chief Minister का नाम इस्तेमाल करने से रोका गया था. Government का नेक इरादा था कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ तमिलनाडु के हर घर तक पहुंचे और यही वजह थी कि स्टालिन Government की योजनाओं के विरोध में याचिका दायर की गई. Supreme court ने इस मामले को ‘राजनीति से प्रेरित’ माना और हाईकोर्ट की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

Supreme court ने कहा कि हमने बार-बार कहा है कि Political लड़ाइयों के निपटारे में अदालतों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, हाईकोर्ट में याचिका दायर करना गलत था.

कोर्ट ने यह भी कहा कि इतनी जल्दबाजी में अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद याचिकाकर्ता ने लगातार उल्लंघन करने का दुस्साहस किया है. चुनाव आयोग को सुनवाई का मौका न देना और चुनाव आयोग पर कार्रवाई करने में विफलता का आरोप लगाकर याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग की आलोचना करने की भी कोशिश की है.

Supreme court ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और जुर्माने को एक हफ्ते में जमा करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.

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