New Delhi, 4 अगस्त . फाइनेंस एक्ट 2025 ने नई टैक्स रिजीम के तहत नए स्लैब और कर दरों के साथ पर्याप्त राहत प्रदान की है. यह जानकारी Government द्वारा Monday को दी गई.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने Lok Sabha में एक लिखित उत्तर में बताया कि ये नए उपाय प्रत्यक्ष कराधान की एक निष्पक्ष और न्यायसंगत प्रणाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे देश के कामकाजी और मध्यम वर्ग पर प्रत्यक्ष करों का कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े.
उन्होंने कहा, “सभी करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए स्लैब और दरों में व्यापक बदलाव किए गए हैं. नई संरचना मध्यम वर्ग के करों को काफी कम करती है और इससे उनके हाथों में अधिक पैसा बचता है, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलता है.”
फाइनेंस एक्ट, 2025 ने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 87ए के तहत कर छूट का दावा करने वाले करदाताओं के लिए आय सीमा को धारा 115बीएसी के अंतर्गत नई टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपए से बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दिया है, जिससे अधिकतम कर छूट राशि 25,000 रुपए से बढ़कर 60,000 रुपए हो गई है.
Union Minister ने बताया कि नई टैक्स रिजीम के तहत दी गई छूट 12 लाख रुपए की सीमा से थोड़ा अधिक पर भी लागू होगी.
Government के अनुसार, घरेलू उपभोग और आर्थिक विकास पर कराधान में इन सुधारों के दीर्घकालिक प्रभाव की निगरानी के लिए कोई विशिष्ट या अलग उपाय नहीं किए गए हैं.
नया फाइनेंस एक्ट आम नागरिकों और छोटे व्यवसायों के लिए कर दाखिल करना आसान बना देगा.
इस विधेयक की समीक्षा के लिए जिम्मेदार संसदीय सेलेक्ट कमेटी की अध्यक्षता करने वाले BJP MP बैजयंत जय पांडा के अनुसार, नया कानून पारित होने के बाद, India के दशकों पुराने कर ढांचे को सरल बनाएगा, कानूनी उलझनों को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं तथा एमएसएमई को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में मदद करेगा.
पांडा ने पिछले महीने को बताया, “वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में 4,000 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से ज्यादा शब्द हैं. यह बहुत जटिल हो गया है. नया विधेयक इसे लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है, जिससे आम करदाताओं के लिए इसे पढ़ना और समझना कहीं ज्यादा आसान हो जाता है.”
उन्होंने आगे कहा कि इस सरलीकरण का सबसे ज्यादा लाभ छोटे व्यवसाय मालिकों और एमएसएमई को होगा, जिनके पास अकसर जटिल कर ढांचों से निपटने के लिए कानूनी और वित्तीय विशेषज्ञता का अभाव होता है.
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एबीएस/