New Delhi, 4 अगस्त . बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम Government में पत्रकारों पर दमन जारी है. New Delhi स्थित मानवाधिकार समूह राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप (आरआरएजी) ने Monday को दावा किया कि बांग्लादेश में अंतरिम Government के तहत पिछले एक साल में 878 पत्रकारों को निशाना बनाया गया, जो प्रेस स्वतंत्रता पर गहरा हमला दर्शाता है.
‘बांग्लादेश: डॉ. मुहम्मद यूनुस द्वारा मीडिया स्वतंत्रता की हत्या’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में आरआरएजी ने बताया कि अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच पत्रकारों पर हमलों में 230 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पूर्व Prime Minister शेख हसीना के शासनकाल के दौरान ऐसे 383 मामले सामने आए थे.
आरआरएजी के निदेशक सुहास चकमा ने रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि यूनुस Government के दौरान पत्रकारों के खिलाफ 195 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए, जो कि शेख हसीना Government के दौरान दर्ज 35 मामलों की तुलना में 558 प्रतिशत अधिक हैं.
चकमा ने कहा, “जहां शेख हसीना Government में किसी भी पत्रकार की मान्यता रद्द करने की कोई मिसाल नहीं है, वहीं यूनुस Government ने 167 पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी बांग्लादेश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट का दुरुपयोग करते हुए यूनुस Government ने 107 पत्रकारों को नोटिस भेजे.
हिंसा और धमकी की घटनाओं का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि जुलाई 2024 के विद्रोह के दौरान शेख हसीना Government में 348 पत्रकारों को हिंसा और आपराधिक धमकियों का सामना करना पड़ा, जबकि यूनुस शासन में यह आंकड़ा 431 तक पहुंच गया.
जून 25, 2025 को डेली मातृजगत के संवाददाता खंडकार शाह आलम की हत्या कर दी गई, जो कि जेल से रिहा हुए स्थानीय अपराधी ‘टाइगर बाबुल डकैत’ द्वारा की गई प्रतिशोधात्मक कार्रवाई थी.
जुलाई 27, 2025 को ढाका की साइबर ट्राइब्यूनल ने बांग्लादेश प्रतिदिन के संपादक नायम निज़ाम, प्रकाशक मैनाल हुसैन चौधरी और बांग्ला इनसाइडर के मुख्य संपादक सैयद बोरहान कबीर के खिलाफ डिजिटल सुरक्षा अधिनियम (डीएसए) के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी किए, जबकि Government के विधि सलाहकार असिफ नज़रूल पहले ही 27 जून को सभी डीएसए मामलों को वापस लेने की घोषणा कर चुके थे.
रिपोर्ट के अनुसार, 21 अप्रैल 2025 को द डेली स्टार ने दिनाजपुर के संवाददाता कोंकन कर्मकार को बर्खास्त कर दिया, क्योंकि उनकी रिपोर्ट एक धार्मिक अल्पसंख्यक भावेश चंद्र रॉय की मौत को लेकर भारतीय मीडिया और India Government के संज्ञान में आई थी.
चकमा ने आरोप लगाया कि यूनुस ने मीडिया को नियंत्रित करने के लिए ‘सीए प्रेस विंग फैक्ट्स’ नामक एक तंत्र की स्थापना की है, जो मीडिया और एनजीओ को डराने और “Governmentी सत्य” का निर्माण करने का कार्य करता है.
आरआरएजी ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से ब्रिटेन की ह्यूमन राइट्स जॉइंट कमेटी से अपील करेगा कि वह बांग्लादेश की अंतरिम Government को दिए जा रहे सहयोग की समीक्षा करे और मीडिया पर लगाम लगाने की वजह से द्विपक्षीय समर्थन को वापस लेने पर विचार करे.
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डीएससी/