छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: भूपेश बघेल और बेटे चैतन्य को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, हाईकोर्ट जाने का निर्देश

New Delhi, 4 अगस्त . छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रदेश के पूर्व Chief Minister भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को Supreme court से कोई राहत नहीं मिली है. शीर्ष अदालत ने Monday को दोनों की याचिकाओं पर सुनवाई से साफ इनकार करते हुए उन्हें अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा है. इसके साथ ही Supreme court ने हाईकोर्ट को निर्देश भी दिया है कि वह दोनों की अर्जियों पर जल्द सुनवाई करे.

भूपेश बघेल और उनके बेटे की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कई सख्त टिप्पणियां कीं. कोर्ट ने कहा कि दोनों ने एक ही याचिका में पीएमएलए (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने के साथ-साथ जमानत जैसी व्यक्तिगत राहत की मांग भी की है, जो उचित नहीं है.

इसके अलावा, Supreme court ने पिता-पुत्र के सीधे Supreme court आने पर भी सवाल उठाया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि जब किसी मामले में कोई प्रभावशाली व्यक्ति शामिल होता है, तो वो सीधे Supreme court पहुंच जाता है. अगर हम ही हर मामले की सुनवाई करेंगे, तो अन्य अदालतों का क्या उपयोग रह जाएगा? अगर ऐसा होता रहा तो फिर गरीब लोग कहां जाएंगे? एक आम आदमी और साधारण वकील के पास Supreme court में पैरवी करने की कोई जगह ही नहीं बचेगी.

Supreme court ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने के नाम पर याचिकाकर्ता सीधे अंतिम राहत नहीं मांग सकते. कोर्ट ने कहा कि एक ही याचिका में आप सब कुछ नहीं मांग सकते. इसके लिए तय प्रक्रिया और मंच हैं. कोर्ट ने चैतन्य बघेल को जमानत याचिका के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा और यह भी निर्देश दिया कि हाईकोर्ट इस पर जल्द सुनवाई करे. इसके अलावा, Supreme court ने पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए अलग से याचिका दाखिल करने की सलाह दी.

पीएसके