New Delhi, 4 अगस्त . झारखंड आंदोलन के प्रणेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर देशभर में शोक की लहर है. उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शोक व्यक्त करते हुए इसे सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति बताया.
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट में लिखा, “शिबू सोरेन का निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है. उन्होंने आदिवासी अस्मिता और झारखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किया. जमीनी स्तर पर काम करने के अलावा, उन्होंने झारखंड के Chief Minister , केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में भी योगदान दिया.”
उन्होंने आगे लिखा, “जनता, विशेषकर आदिवासी समुदायों के कल्याण पर उनके ज़ोर को सदैव याद रखा जाएगा. मैं उनके पुत्र और झारखंड के Chief Minister श्री हेमंत सोरेन जी, परिवार के अन्य सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं.”
शिबू सोरेन ने Monday को दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका पूरा जीवन झारखंड और वहां के आदिवासी समुदायों के अधिकारों की लड़ाई में समर्पित रहा. उन्हें ‘गुरुजी’ के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने झारखंड राज्य के निर्माण के लिए लंबा आंदोलन चलाया था.
शिबू सोरेन का जन्म बिहार के हजारीबाग में 11 जनवरी 1944 को हुआ था. उन्हें दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से जाना जाता है. उन्होंने आदिवासियों के शोषण के खिलाफ लंबी संघर्ष की थी. 1977 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 1980 से वह लगातार कई बार सांसद चुने गए.
बिहार से अलग राज्य ‘झारखंड’ बनाने के आंदोलन में भी उनकी निर्णायक भूमिका रही है. वे तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के Chief Minister बने, लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.
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पीएसके