New Delhi, 3 अगस्त . सेमीकंडक्टर आधुनिक तकनीक के केंद्र में हैं और चिप्स की वैश्विक मांग आसमान छू रही है, लेकिन कुछ सीमित भौगोलिक क्षेत्रों में उद्योग की एकाग्रता के कारण सप्लाई चेन बहुत नाजुक बनी हुई है. इसी के साथ मैन्युफैक्चरिंग के वैश्विक विविधीकरण की स्पष्ट आवश्यकता है. India इस संबंध में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है.
मेक इन इंडिया के तहत प्रमुख क्षेत्रों में से एक के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम), इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम जैसी पहलों ने उद्योग का समर्थन करने के लिए एक इकोसिस्टम बनाने में मदद की है. ग्लोबल सेमीकंडक्टर मार्केट 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें India का बाजार एक बड़ा हिस्सा है.
मई 2025 में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नोएडा और Bengaluru में दो अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर डिजाइन सुविधाओं का उद्घाटन किया. ये केंद्र एडवांस 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन पर केंद्रित India के पहले केंद्र हैं, जो देश की सेमीकंडक्टर इनोवेशन जर्नी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे.
मंत्रालय की डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना और इसके चिप्स टू स्टार्टअप (सीटूएस) कार्यक्रम के तहत सहायता प्राप्त स्टार्टअप महत्वपूर्ण रूप से तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
पिछले दिनों इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अनुसार, स्मार्ट विजन, cctv कैमरा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे एप्लीकेशन के लिए चिप्स बनाने वाली कंपनी नेत्रसेमी स्टार्टअप को Government की चिप डिजाइन योजना के तहत मिले सहयोग से 107 करोड़ रुपए का उद्यम पूंजीगत (वीसी) निवेश प्राप्त हुआ.
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा भी इस सफलता का स्वागत किया गया. उन्होंने कहा कि India में महत्वपूर्ण डिजाइन क्षमताएं निहित हैं. Union Minister ने कहा कि India सेमीकंडक्टर मिशन द्वारा देश में डिजाइन को सहायता दिए जाने के साथ नेत्रसेमी की सफलता दूसरे भारतीय स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करेगी.
मंत्रालय के अनुसार, 2022 में डीएलआई योजना के शुभारंभ के बाद से Government ने 22 कंपनियों से चिप डिजाइन परियोजनाओं के लिए 234 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की प्रतिबद्धता जताई थी, जिसकी कुल परियोजना लागत 690 करोड़ रुपए थी. इन स्टार्टअप्स ने मिलकर उद्यम पूंजीगत निवेशकों से 380 करोड़ रुपए से अधिक धन जुटाया है. इसके अलावा, पांच स्टार्टअप पहले ही ग्लोबल चिप मैन्युफैक्चरर्स के साथ अपने चिप डिजाइन का निर्माण और परीक्षण कर चुके हैं.
केंद्र Government द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 72 से अधिक कंपनियों को चिप्स डिजाइन करने में सहायता के लिए एडवांस सॉफ्टवेयर टूल्स तक पहुंच प्रदान की गई है.
पिछले दिनों आईआईटी-हैदराबाद के 14वें दीक्षांत समारोह में Union Minister वैष्णव ने कहा कि जिस तरह से हम सेमीकंडक्टर बनाने के लिए आवश्यक पूंजीगत उपकरण और सामग्री का निर्माण कर रहे हैं, उससे आने वाले वर्षों में India सेमीकंडक्टर का उत्पादन करने वाले शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा.
India सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य एक मजबूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है, जिससे India को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन के लिए एक ग्लोबल हब के रूप में स्थापित किया जा सके.
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