New Delhi, 3 अगस्त . आधुनिक जीवन की भागदौड़ और तनाव भरी दुनिया में ध्यान एक ऐसी प्राचीन विधि है, जो मन और शरीर को शांति, जागरूकता और आंतरिक जुड़ाव प्रदान करती है. आयुष मंत्रालय के अनुसार, “शोर से भरी दुनिया में, ध्यान मौन प्रदान करता है. यह केवल स्थिर बैठने से कहीं अधिक है. यह जागरूकता, शांति और गहरे आंतरिक जुड़ाव का अभ्यास है.
ध्यान योग और आयुर्वेद का अभिन्न अंग है, जो जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है. इससे न केवल मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी यह फायदेमंद है.
आयुष मंत्रालय के अनुसार, शोर से भरी दुनिया में, ध्यान मौन प्रदान करता है. ध्यान चिंता या एग्जाइटी को कम करने में प्रभावी है; यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है.
मंत्रालय ध्यान के अभ्यास की सही विधि भी बताता है. इसके लिए किसी भी आरामदायक ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं. रीढ़ की हड्डी सीधी रखें. हाथों को ज्ञान-मुद्रा में जांघों पर रखें. धीरे से आंखें बंद करें और सिर को इस तरह झुकाएं कि सिर का शीर्ष भाग कंठ के सीध में हो. सामान्य रूप से सांस लें. अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए अपना ध्यान सांस पर केंद्रित करें. इस अवस्था में पांच मिनट या यथासंभव लंबे समय तक रहें. वापस आने के लिए, अपना ध्यान वापस सांस पर और फिर बाहरी परिवेश पर केंद्रित करें.
ध्यान एक सरल, सुलभ और प्रभावी अभ्यास है, जो हर उम्र के लोग कर सकते हैं. ध्यान 5 से 10 मिनट तक करना चाहिए. इससे कई लाभ मिलते हैं. आयुष मंत्रालय के अनुसार, ध्यान मन और शरीर को तरोताजा करता है. यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है, नींद की गुणवत्ता सुधारता है और एकाग्रता बढ़ाता है. नियमित ध्यान करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, हृदय स्वास्थ्य बेहतर बनता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है.
ध्यान उन लोगों के लिए भी बेहद फायदेमंद है जो ओवरथिंकिंग (जरूरत से ज्यादा सोचते हैं) करते हैं. नियमित अभ्यास से व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता का अनुभव होता है.
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एमटी/केआर