तथ्यों पर आधारित नहीं ट्रंप का बयान, भावावेश में कुछ भी कहना गलत : संजय निरुपम

Mumbai , 1 अगस्त . शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि वे तथ्यपरक बात नहीं करते है.

संजय निरुपम ने से बात करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान तथ्यों पर आधारित नहीं होते, वे भावावेश में आकर कुछ भी कह देते हैं. भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ कहना आपत्तिजनक है.

उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि वे इस बयान का समर्थन कर रहे हैं, जो और भी गलत है. भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. कुछ चुनौतियां जरूर हैं- जैसे कृषि और लघु उद्योग, परंतु विकास दर लगातार बढ़ रही है, इसे ‘डेड’ कहना गलत है.

बिहार एसआईआर को लेकर संजय निरुपम ने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची की जांच के बाद एक प्रारूप रिपोर्ट जारी की है, जो अंतिम सूची नहीं है. इस ड्राफ्ट में लाखों फर्जी नाम हटाए गए हैं, जिनमें कई विदेशी और बिहार से बाहर रह रहे लोग शामिल हैं. सभी राजनीतिक दलों को एक महीने का समय मिलेगा, जिसमें वे बीएलए के माध्यम से सूची की जांच कर सकते हैं. अगर किसी असली मतदाता का नाम हट गया है तो उसे जोड़ा जा सकता है और फर्जी नामों को हटाया जा सकता है. यह विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया एसआईआर के तहत की गई है, जो गलत नहीं है.

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री माणिकराव कोकाटे का विभाग बदले जाने पर उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के Chief Minister को यह अधिकार होता है कि वह अपने मंत्रियों के विभागों में बदलाव कर सकते हैं. महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अजित पवार की पार्टी से थे और उनकी सहमति से Chief Minister देवेंद्र फडणवीस ने माणिकराव कोकाटे को अन्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है. उनकी जगह किसी अन्य मंत्री को कृषि विभाग सौंपा गया है. यह निर्णय एक साल के अनुभव के आधार पर लिया गया है, जो सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है.

महाराष्ट्र पुलिस और एटीएस के एक पूर्व अफसर महबूब मुजावर ने मालेगांव धमाके में एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि इस मामले में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने और उन्‍हें अरेस्‍ट करने का आदेश मिला था. उनके इस दावे पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए संजय निरुपम ने कहा कि महाराष्ट्र एटीएस के जिस अधिकारी ने हालिया बयान दिया है, उससे मेरा सीधा सवाल है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनके खिलाफ सबूत और गवाह कहां थे? अगर जांच सही होती और आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य होते, तो एनआईए कोर्ट 17 में से सभी आरोपियों को बरी नहीं करता. अब ऐसे अधिकारियों को नैतिक अधिकार नहीं रहा कि वे इस पर टिप्पणी करें.

एकेएस/एएस