भाजपा ने मालेगांव ब्लास्ट केस को बताया कांग्रेस का षड़यंत्र, कहा- ‘यह उनकी सोची-समझी साजिश थी’

New Delhi, 31 जुलाई . मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बाद सियासत तेज हो गई है. भाजपा ने इस फैसले को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला. साथ ही उन्होंने मालेगांव ब्लास्ट केस को कांग्रेस का षड्यंत्र बताया. भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट का फैसला स्पष्ट है कि किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं था.

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने Thursday को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “हिंदू आतंकवाद को देश के ऊपर जबरन थोपने का कांग्रेस पार्टी का जो षड्यंत्र था, वह आज धाराशायी हो गया. मैं यह बात बहुत जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट का जो फैसला आया है, उसमें कहा गया है कि किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं था. अभियोग पक्ष अपना केस प्रूव नहीं कर सका.”

उन्होंने आगे कहा, “इस मामले में कर्नल पुरोहित एक बहुत ही डेकोरेटेड आर्मी ऑफिसर था, जिसने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी, उसको फंसाया गया. प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप लगाया गया था कि उनकी मोटरसाइकिल से बम लाया गया था. उनको 10-12 दिन तक इतना टॉर्चर किया गया कि बाद में उनका चलना भी मुश्किल हो गया था. यह विशुद्ध वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस की साजिश थी. हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं.”

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “ये कांग्रेस की एक सोची हुई रणनीति थी, वो भी शुद्ध वोटबैंक के लिए. ये षड्यंत्र धराशायी हुआ, इस पर हमें खुशी भी है और संतोष भी है. चिदंबरम ने 25 अगस्त, 2010 को पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए ‘भगवा आतंकवाद’ का मुद्दा उठाया था. केंद्रीय गृह मंत्री रहते हुए सुशील कुमार शिंदे ने भी ‘भगवा आतंकवाद’ का जिक्र किया था. आपको यह भी याद होगा कि राहुल गांधी ने कैसे कहा था कि हिंदू आतंकवाद लश्कर-ए-तैयबा से भी ज्यादा खतरनाक है.”

उन्होंने कहा, “चिदंबरम महाशय सिर्फ पाकिस्तान को ही सर्टिफिकेट नहीं देते, बल्कि उन्होंने गृह मंत्री के रूप में जानबूझकर भगवा आतंकवाद का विषय उठाया और देश में एक नए षड्यंत्र का नैरेटिव चलाने की कोशिश की और इसमें सरकार के सारे तंत्रों का दुरुपयोग किया, लोगों को फंसाने के लिए.”

रविशंकर प्रसाद ने कहा, “याद कीजिए 2005 के बिहार चुनावों के दौरान जब तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने गोधरा ट्रेन हादसे की जांच के लिए Supreme court के सेवानिवृत्त न्यायाधीश यूसी बनर्जी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. समिति ने दावा किया था कि एक कारसेवक ने अपने ही चूल्हे से आग लगाई थी, यह 2002 के गोधरा ट्रेन नरसंहार को एक पूर्व नियोजित साजिश के बजाय एक दुर्घटना बताने की कोशिश थी. मैंने इसे एक पक्षपातपूर्ण, बिकी हुई रिपोर्ट बताया था और उन्हें मेरे खिलाफ कार्रवाई करने की खुली चुनौती दी थी. लेकिन वे कुछ नहीं कर सके.”

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