New Delhi, 31 जुलाई . President डोनाल्ड ट्रंप द्वारा India पर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माना लगाने के फैसले के बावजूद अभी भी देश के लिए अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर बातचीत करने का रास्ता खुला हुआ है. यह जानकारी अर्थशास्त्री द्वारा दी गई.
अर्थशास्त्री त्रिन्ह गुयेन के अनुसार, ट्रंप का टैरिफ संबंधी कदम बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है.
गुयेन ने social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “क्या यह आश्चर्यजनक है? बिल्कुल नहीं. मैं एक हफ्ते से सोच रहा था कि अमेरिका-India समझौता कैसा होगा और सच कहूं तो, मुझे इसका अंदाजा था. मुझे लगता है कि India इस खतरे से निपटने के लिए बातचीत कर सकता है. यह अंतिम नहीं है, लेकिन कितना कम हो सकता है, देखना होगा ?”
अमेरिका की ओर से टैरिफ ऐलान के बाद India ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा, जैसा कि ब्रिटेन के साथ हुए हालिया व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते सहित अन्य व्यापार समझौतों के मामले में हुआ है.
अर्थशास्त्री ने कहा कि यह ट्रंप की सोची-समझी धमकी है, यह उनके पिछले कार्यकाल में जापान के साथ उनकी रणनीति की याद दिलाती है.
उन्होंने कहा, “यह एक जानी-पहचानी रणनीति है. एक कठोर आंकड़ा पेश करो, दबाव बनाओ, फिर उसे कम करने के लिए बातचीत करो.”
उन्होंने आगे कहा, “ट्रंप के कुछ एजेंडे हैं जिनमें वह India या Prime Minister मोदी की मदद चाहते हैं. यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना उनमें से एक है और India इसमें दिलचस्पी नहीं रखता. यह एक उभरता हुआ देश है और तेल जहां सबसे सस्ता मिल सकता है, वहां से खरीदता है. रूसी तेल सबसे सस्ता है, इसलिए वह रूस से खरीदता है और ट्रंप रूस की तेल आय को कम करना चाहते हैं.”
गुयेन के अनुसार, यूरोपीय संघ और जापान को भी आंशिक राहत मिली है, जहां ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है.
उन्होंने आगे कहा, “India के लिए, 15 प्रतिशत सबसे अच्छी स्थिति हो सकती है.”
दूसरी चीज जो ट्रंप चाहते हैं, वह यह शेखी बघारना है कि उन्होंने India के विशाल बाजार को अमेरिकी निर्यातकों के लिए खोल दिया है, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है.
उन्होंने आगे कहा, “भारत-ब्रिटेन समझौता दर्शाता है कि India खुल रहा है, लेकिन वह इसे अपनी गति से कर रहा है. यानी, बहुत धीरे-धीरे और उन क्षेत्रों में जहां उसे लगता है कि उसे संरक्षण की जरूरत नहीं है जैसे अल्ट्रा-लग्जरी और वह भी बहुत कम कोटा के साथ.
उन्होंने आगे कहा कि यह ब्रिटेन को दिए गए से थोड़ा ज्यादा दे सकता है, लेकिन ब्रिटेन का समझौता इस बात का मानक है कि घरेलू ऑटो बाजार सुरक्षित रहेंगे.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, टैरिफ में किसी भी बढ़ोतरी का व्यापक आर्थिक प्रभाव देश के घरेलू बाजार के बड़े आकार से कम हो जाएगा.
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि India की निर्यात क्षमता अंततः चीन जैसे अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में India पर लगने वाले टैरिफ की मात्रा पर भी निर्भर करती है.
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एबीएस/