कनिमोझी का सरकार पर हमला, पहलगाम हमले में खुफिया विफलता और जवाबदेही पर उठाए सवाल

New Delhi, 29 जुलाई . डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने Monday को संसद में भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र Government पर तीखा हमला बोला. उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले पर Government की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए खुफिया तंत्र की विफलताओं और जवाबदेही की कमी को लेकर चिंता जताई.

डीएमके सांसद कनिमोझी ने Tuesday को Lok Sabha में पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा में भाग लिया. कनिमोझी ने भाजपा को याद दिलाया कि तमिलनाडु के Chief Minister एमके स्टालिन पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सबसे पहले शांति रैली आयोजित करने वाले व्यक्ति थे.

डीएमके सांसद ने भाजपा को वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधिमंडल भेजकर विश्वास दिखाने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, “हम बीजेपी को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने विदेशों में प्रतिनिधिमंडल भेजे, जिनमें विपक्षी सांसद भी शामिल थे. मैं खुद एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थी. लेकिन, यह दुखद है कि ऐसा हमला हुआ, जिससे इन दौरों की जरूरत पड़ी.”

‘रॉ’ और ‘इंटेलिजेंस ब्यूरो’ द्वारा कथित तौर पर जारी की गई खुफिया चेतावनियों का हवाला देते हुए कनिमोझी ने सवाल उठाया कि जब पहले से अलर्ट थे तो कोई एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाया गया?

उन्होंने कहा, “क्या आज तक Prime Minister ने पीड़ितों के परिवारों से माफी मांगी है? जब खुफिया एजेंसियों ने संदिग्ध आतंकी गतिविधि की सूचना दी थी, तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? एक अमेरिकी साइबर सुरक्षा कंपनी ने भी खुलासा किया था कि एक Pakistanी कंपनी जम्मू-कश्मीर के विस्तृत नक्शे खोज रही थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमले की पहले से योजना बनाई गई थी.”

कनिमोझी ने सत्तारूढ़ दल के सदस्यों के बयानों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने पूछा, “ऑपरेशन सिंदूर के बाद हम आपके और सशस्त्र बलों के साथ मजबूती से खड़े रहे. वैश्विक मंचों पर अपना समर्थन दिया. उस समय, आपने हमारे धर्म पर सवाल नहीं उठाया, तो अब आपकी राजनीति इतनी विभाजनकारी क्यों है? भाजपा के मंत्री नफरत फैलाने वाले भाषण क्यों दे रहे हैं, और क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है?”

अपने भाषण में डीएमके सांसद ने तमिलनाडु से जुड़े दो महत्वपूर्ण मुद्दों का भी जिक्र किया. उन्होंने कीलाड़ी खुदाई की अंतिम रिपोर्ट में देरी पर सवाल उठाया और केंद्र Government पर तमिलनाडु के ऐतिहासिक योगदान को दबाने का आरोप लगाया.

कनिमोझी के भाषण के दौरान सत्ता पक्ष की ओर से जोरदार विरोध हुआ, लेकिन उन्होंने अपने रुख पर अडिग रहते हुए कहा कि संकट के समय जवाबदेही और एकता दोनों जरूरी हैं.

डीसीएच/एबीएम