New Delhi, 28 जुलाई . Lok Sabha में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जारी चर्चा के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने Pakistan पर निशाना साधा. उन्होंने Lok Sabha में कहा कि हमने Pakistan को दुनिया के सामने बेनकाब किया है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने Monday को Lok Sabha में कहा, “पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था. हमारी सीमाएं लांघी गई थीं और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे. पहला कदम यह उठाया गया कि 23 अप्रैल को कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक हुई. उस बैठक में निर्णय लिया गया कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा, जब तक Pakistan सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता. इसके अलावा, अटारी एकीकृत जांच चौकी को तत्काल बंद किया जाएगा. सार्क वीजा छूट योजना के तहत यात्रा करने वाले Pakistanी नागरिकों को अब यह सुविधा नहीं मिलेगी. Pakistanी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा घोषित (अवांछित व्यक्ति) किया जाएगा. उच्चायोग की कुल कर्मचारी संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी.”
जयशंकर ने कहा, “पहलगाम हमले के जवाब में India की कार्रवाई यहीं नहीं रुकेगी. कूटनीतिक दृष्टिकोण से हमारा लक्ष्य था कि दुनिया को इस हमले का सही अर्थ समझाया जाए. हमने Pakistan के लंबे समय से चल रहे सीमा पार आतंकवाद के इतिहास को उजागर किया और बताया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और India में सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए किया गया था.”
विदेश मंत्री ने Pakistan पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “हमने दूतावासों को ब्रीफिंग देने के साथ ही मीडिया में भी यह जानकारी दी कि India को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है. हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को Pakistan के बारे में बताया और कहा कि हमारी रेड लाइन पार कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े. हमने दुनिया के सामने Pakistan का असली चेहरा बेनकाब किया है. सिक्योरिटी काउंसिल में Pakistan समेत केवल तीन देशों ने ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विरोध किया. यूएन के 193 में से तीन सदस्यों ने ही इस ऑपरेशन का विरोध किया.”
विदेश मंत्री जयशंकर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर Lok Sabha में बोलते हुए कहा, “हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर था. चुनौती यह थी कि इस समय Pakistan सुरक्षा परिषद का सदस्य है, जबकि India नहीं है. हमारा लक्ष्य दो चीजें हासिल करना था. पहला सुरक्षा परिषद से इस बात की पुष्टि करवाना कि इस हमले के लिए जवाबदेही जरूरी है. साथ ही हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना है.”
उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान में परिषद के सदस्यों ने इस आतंकी हमले की कठोर शब्दों में निंदा की. उन्होंने पुष्टि की है कि आतंकवाद, अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिषद ने इस निंदनीय आतंकी कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
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