भारत और ब्रिटेन के बीच हुए एफटीए का उद्योग जगत और अर्थशास्त्रियों ने किया स्वागत

New Delhi, 26 जुलाई . भारतीय उद्योग जगत और अर्थशास्त्रियों ने भारत-ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते का स्वागत किया है. राजकोट इंजीनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र पांचणी ने Saturday को कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच हुए इस समझौते से देश के उद्योग क्षेत्र को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है. इस समझौते से भारत को अपने 99 प्रतिशत निर्यात किए जाने वाले उत्पादों पर ब्रिटेन में टैक्स फ्री एक्सपोर्ट की सुविधा मिलेगी.

न्यूज एजेंसी से बात करते हुए पांचणी ने कहा कि राजकोट इंजीनियरिंग हब है, क्योंकि पूरे भारत से इंजीनियरिंग सामान केवल राजकोट से ही निर्यात किया जाता है. इसी के साथ ब्रिटेन के साथ हुए इस समझौते के बाद दोनों देश के बीच होने वाला व्यापार तेजी से आगे बढ़ेगा. इससे राजकोट इंजीनियरिंग एसोसिएशन को बूस्ट मिलेगा.

पांचणी ने कहा, “इस समझौते में ट्रेड से जुड़ी अधिकतर वस्तुओं को शामिल किया गया है. पहले भी यूके में भारतीय सामान बेचा जाता था, लेकिन अब ड्यूटी फ्री होने के चलते वहां अधिक मात्रा में सामान निर्यात हो सकेगा, जिससे व्यापार में भी वृद्धि होगी.

अर्थशास्त्री एवं सीए प्रभात रंजन ने कहा से कहा, “मैं पूरे भारत को इस एफडीए समझौते पर ब्रिटेन द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के लिए बधाई देता हूं, जो 2020 में ब्रिटेन में ब्रेक्सिट के बाद सबसे बड़े सौदों में से एक है, जिसका एक महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलेगा.”

रंजन ने कहा कि भारतीय दवा उद्योग के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि भारतीय जेनेरिक दवाएं अब शुल्क मुक्त होंगी. इसके अलावा, भारत में निर्मित चिकित्सा और सर्जिकल उपकरण आदि भी शुल्क मुक्त होंगे, जो भारतीय दवा व्यवसाय के दृष्टिकोण से एक बड़ा बढ़ावा है.

उन्होंने कहा, “अमेरिकी दृष्टिकोण से, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि समय के लिहाज से, अगर आप अमेरिकी रणनीति को देखें, तो अमेरिका ने भारत से अमेरिका को होने वाले सभी निर्यातित उत्पादों पर 26 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है, लेकिन इसका कार्यान्वयन पहली अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है. अब, पहली अगस्त की समय सीमा से ठीक पहले, 24 जुलाई को होने वाला यह सौदा आगे की रणनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा.”

रंजन ने कहा कि अगर आप अमेरिकी रणनीति को देखें, तो वह शुल्क लगाने पर जोर देगा जबकि भारत मुक्त शुल्क पर. इसलिए, दोनों देश पूरी तरह से विपरीत दिशाओं में जा रहे हैं, जिस पर भारत और अमेरिका को भी विचार करना होगा, साथ ही भारत और अमेरिका के संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देने के लिए अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ तालमेल बिठाना होगा.

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