चंडीगढ़, 26 जुलाई . हर साल 26 जुलाई को भारत कारगिल विजय दिवस मनाता है, जो 1999 में कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत और सैनिकों के बलिदान को याद करने का दिन है. इस साल 26वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर चंडीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में रिटायर्ड सैनिकों और शहीदों के परिजनों ने अपनी भावनाएं साझा किए.
इस कार्यक्रम में रिटायर्ड ब्रिगेडियर एस वी भास्कर, शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा, शहीद सेवा दल फाउंडेशन के डायरेक्टर सावन सिंह रोहिल्ला, और रिटायर्ड कैप्टन रामचंद्र यादव शामिल हुए.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर एस वी भास्कर ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि कारगिल युद्ध सहित भारत के सभी युद्धों की गाथाएं स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होनी चाहिए. 1947-48 के कश्मीर युद्ध, 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 के युद्धों से देश ने बहुत कुछ सीखा है. इन युद्धों में सैनिकों की वीरता और बलिदान को युवाओं तक पहुंचाना जरूरी है, ताकि उनमें देशप्रेम की भावना जागे.
उन्होंने कहा कि भले ही बच्चे सेना में भर्ती हों या न हों, लेकिन वे देश के जिम्मेदार नागरिक बनें. उन्होंने अपनी यूनिट के उन शहीदों को याद किया, जिनके बलिदान के कारण आज हम सिर उठाकर जी सकते हैं. उन्होंने कारगिल विजय का जश्न मनाने के साथ-साथ शहीदों को श्रद्धांजलि देने के महत्व पर जोर दिया.
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में उन्होंने कहा कि यह तब तक जारी रहेगा जब तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई खत्म नहीं हो जाती. भारतीय सेना की तैयारियां और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प कभी कम नहीं होगा.
शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा ने कहा कि वे 26 जुलाई को उसी गर्व के साथ देखते हैं, जैसे 26 साल पहले भारतीय सैनिकों ने कारगिल, द्रास और मश्कोह घाटी की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों को हराया था. उन्होंने सभी शहीद सैनिकों और उनके परिवारों को नमन किया.
विशाल ने कहा कि कैप्टन विक्रम बत्रा को याद करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं है. 24 साल की उम्र में विक्रम ने जो जज्बा और वीरता दिखाई, वह हर भारतीय के दिल में बस्ता है. उनकी बहादुरी और “ये दिल मांगे मोर” का नारा आज भी युवाओं को प्रेरित करता है.
शहीद सेवा दल फाउंडेशन के डायरेक्टर सावन सिंह रोहिल्ला ने बताया कि उनकी संस्था हर साल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में कारगिल में गंगाजल चढ़ाती है. इस साल भी उन्होंने उस परंपरा का निर्वहन किया.
उन्होंने 1962 के युद्ध के जीवित सैनिक और परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी के रेडियो ऑपरेटर का जिक्र किया, जो 87 साल की उम्र में रेजांगला पराक्रम यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं.
रिटायर्ड कैप्टन रामचंद्र यादव ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांगला की लड़ाई को याद किया, जिसमें वे मेजर शैतान सिंह के साथ रेडियो ऑपरेटर के रूप में शामिल थे. उन्होंने बताया कि 124 भारतीय सैनिकों ने 3,000 चीनी सैनिकों का मुकाबला किया. चीनी सेना के हथियार और संसाधन बेहतर थे, फिर भी भारतीय सैनिकों ने आखिरी सांस तक अपनी सीमा की रक्षा की..
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एसएचके/केआर