Mumbai , 25 जुलाई . ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता वारिस पठान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोला है. से विशेष बातचीत में पठान ने आरोप लगाया कि आरएसएस ने हमेशा से देश के मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई और उनके अधिकारों का हनन किया.
उन्होंने कहा, “आरएसएस वही संगठन है, जिसने हमारे तिरंगे का अपमान किया. 52 साल तक उनके नागपुर मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया. ये वही लोग हैं जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बताते हैं.”
वारिस पठान ने आरएसएस की आजादी की लड़ाई में भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब हमारे लोग देश की आजादी के लिए शहीद हो रहे थे, तब आरएसएस कहां था? उनकी कोई भूमिका नहीं थी. वे तो माफी मांगने में व्यस्त थे.”
उन्होंने आरोप लगाया, “भाजपा मुसलमानों के खिलाफ नफरत भड़काने वालों को खुली छूट दे रही है. आपके लोग हर दिन हमारे पैगंबर का अपमान करते हैं, मुसलमानों के खिलाफ बकवास करते हैं. आप उन्हें रोकते क्यों नहीं? उनकी भाषा पर नियंत्रण क्यों नहीं करते?”
उन्होंने वक्फ संपत्तियों को लेकर भी Government को घेरा. वारिस पठान ने कहा, “आप वक्फ की जमीन छीनकर अपने उद्योगपति मित्रों को देना चाहते हैं. मुसलमानों की बस्तियों को बिना नोटिस के बुलडोजर से उजाड़ा जा रहा है, और आप चुप हैं.”
वारिस पठान ने केंद्र Government के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे को खोखला करार दिया. उन्होंने कहा, “आजादी के बाद पहली बार संसद में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है. भाजपा ने कितने मुसलमानों को चुनाव में टिकट दिया? आपने मुसलमानों का Political सशक्तीकरण शून्य कर दिया.”
उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को अपनी आस्था के अनुसार धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन Government इस अधिकार का हनन कर रही है.
उन्होंने भाजपा पर विकास और रोजगार जैसे मुद्दों को दरकिनार करने का आरोप लगाया. वारिस पठान ने Maharashtra में किसानों की आत्महत्याओं का जिक्र करते हुए कहा, “770 किसानों ने आत्महत्या की, लेकिन Government के पास कोई नीति नहीं. वे सिर्फ मुसलमानों को गाली देकर अपनी सियासत चमकाते हैं.”
वारिस पठान ने प्रचार-आधारित फिल्मों पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, “ऐसी फिल्में एक समुदाय को निशाना बनाती हैं. कन्हैया लाल की हत्या की हर मुसलमान ने निंदा की थी, लेकिन ऐसी फिल्मों के जरिए नफरत फैलाई जा रही है. ऐसी फिल्में बननी चाहिए जो मोहब्बत का संदेश दें, न कि नफरत का.”
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एकेएस/एएस